फ़तेह लाइव,डेस्क
बेल्डीह तुलसी काली मंदिर में हर वर्ष की भांति इस बार भी पारंपरिक घूरती रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया गया। महाप्रभु श्री जगन्नाथ आठ दिनों के मौसी बाड़ी प्रवास के पश्चात शनिवार को अपनी बहन सुभद्रा एवं अग्रज बलभद्र के साथ श्री मंदिर की ओर लौट चले। रथ यात्रा का यह आयोजन पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ सम्पन्न हुआ, जो धामपुरी (पुरी) की परंपरा की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है।
भोर से ही उमड़ा भक्तों का सैलाब
मौसी बाड़ी स्थित मंदिर में शनिवार की सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी। भक्तों ने विधि-विधान से महाप्रभु की पूजा-अर्चना कर अपने परिवार की मंगलकामना की। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, मंदिर परिसर भक्ति भाव से सराबोर होता गया।
विग्रहों की विदाई और रथारोहण
शाम होते-होते पुजारियों की टोली द्वारा सामूहिक आरती एवं वंदना के पश्चात महाप्रभु श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के विग्रहों को भक्तों की गोद में उठाकर मौसी बाड़ी के द्वार पर खड़े रथ तक लाया गया और सिंहासन पर आसीन किया गया।
“जय जगन्नाथ” के जयघोष से गूंज उठा वातावरण
जैसे ही रथ खींचने का क्रम शुरू हुआ, पूरे वातावरण में “जय जगन्नाथ जय जय जगन्नाथ” के उद्घोष, घंटे-घंटी और करताल की मधुर ध्वनि गूंज उठी। भक्तों ने श्रद्धा से रथ खींचा और रथ पर महाप्रभु को भोग-प्रसाद अर्पित किया गया। इसी रथ से ही भोग प्रसाद का वितरण भी किया गया, जिसे पाने के लिए श्रद्धालु उत्साहित दिखे।
विशेष पूजन और चातुर्मास शयन की तैयारी
परंपरा के अनुसार, रथ देर शाम श्री मंदिर पहुंचेगा, जहां देवशयनी एकादशी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना के पश्चात महाप्रभु चातुर्मास शयन के लिए विराजमान होंगे।
ट्रस्टी का बयान
नागा काली मंदिर के ट्रस्टी शशि तिवारी ने जानकारी दी कि बेल्डीह तुलसी मंदिर से नागा काली मंदिर तक महाप्रभु श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम जी की रथ यात्रा भव्यता के साथ निकाली गई। इस आध्यात्मिक यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और रथ खींचने का पुण्य प्राप्त किया।