- फाइलेरिया रोधी दवा सेवन से जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने का संकल्प
फतेह लाइव, रिपोर्टर
भारत सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य 2027 निर्धारित किया गया है और इस दिशा में राज्य के 14 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) कार्यक्रम मनाया जा रहा है. गिरिडीह जिले के अंतर्गत सभी प्रखंडों (बगोदर, जमुआ, पीरटॉड एवं देवरी को छोड़कर) में यह कार्यक्रम 10 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक मनाया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत लक्षित जनसंख्या को फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराया जाएगा. गिरिडीह जिले में कुल 17,96,517 व्यक्तियों को इस दवा का सेवन कराने का लक्ष्य रखा गया है. 10 फरवरी को सभी आंगनवाड़ी केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर DEC और Albendazole की एकल खुराक दी जाएगी.
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शेष बचे हुए व्यक्तियों को 11 फरवरी से 25 फरवरी तक प्रशिक्षित दवा प्रशासकों (सहिया, सेविका, और वालंटियर) द्वारा घर-घर जाकर दवा खिलाई जाएगी. जिले में कुल 1755 बूथ चिन्हित किए गए हैं, जिनमें 3510 दवा प्रशासक दवा सेवन करवाने के कार्य में जुटेंगे. एमडीए कार्यक्रम के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति दवा का सेवन न करें. दवा का सेवन खाली पेट न करने का भी ध्यान रखा जाएगा. फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है, जो मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है. इसके शुरूआती लक्षणों में बुखार, दर्द और पैरों में सूजन होती है. यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह सूजन स्थायी हो सकती है. इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया की दवा का सेवन करने से 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है और अगली पीढ़ी को इससे बचाया जा सकता है.
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दवा पूरी तरह से सुरक्षित है. हालांकि कुछ दुर्लभ मामलों में माइक्रो फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्तियों को सिर दर्द, उल्टी, चक्कर और बुखार जैसे हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन ये प्रभाव अस्थायी होते हैं और इसका इलाज प्रबंधित किया जाता है. इस कार्यक्रम में जिला और प्रखंड स्तर पर आरआरटी (रैपिड रिस्पांस टीम) का गठन किया गया है, जो प्रतिकूल प्रभावों का निवारण करेंगे. गिरिडीह जिले के सभी नागरिकों से अपील है कि वे इस एमडीए कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लें, दवा का सेवन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें.