सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद स्टेट बैंक की ऑफ इंडिया ने तय समय के मुताबिक चुनाव आयोग को मंगलवार की शाम इलेक्ट्रोल बांड का डाटा भेज दिया है. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक चुनाव आयोग इसे 16 मार्च को सार्वजनिक करेगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि राजनीतिक दलों को का पिटारा खुलेगा किस कहां से कितना धन मिला चंदे के रूप में और किसने दिया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में एसबीआई को जानकारी देने को कहा था जिसमें एसबीआई ने याचिका दायर करते हुए समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए उसे सुप्रीम कोर्ट के तत्काल निर्देशों का पालन करते हुए 24 घंटे के अंदर इलेक्ट्रोल बांड डाटा चुनाव आयोग को सौंपने को कहा था.
आदेश दिया था कि डेटा शाम 5 बजे तक पोल पैनल को भेजा जाए. हालांकि बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने अभी तक कोर्ट के आदेश के अनुपालन की पुष्टि करने वाला हलफनामा दायर नहीं किया है.
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हलफनामा तैयार है लेकिन अभी तक कोर्ट में जमा नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस डेटा को जारी करने की समय सीमा 6 मार्च बढ़ाने की मांग की गई थी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा के लिए बैंक को फटकार लगाई थी. साथ ही अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस समय अवमानना क्षेत्राधिकार का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि यदि कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो यह जानबूझकर अवज्ञा का मामला होगा. इसके बाद हम कार्यवाही करेंगे.
कोर्ट के समक्ष एसबीआई ने यह रखी थी तर्क
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैंक ने तर्क दिया था कि डेटा को इकट्ठा करने, क्रॉस-चेक करने और जारी करने में काफी समय लगेगा. इसे दोनों पक्षों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए दो साइलो में रखा गया है. बैंक ने कहा कि हमें अनुपालन के लिए थोड़ा और समय चाहिए. हमें बताया गया कि यह गोपनीय जानकारी है.
इसको लेकर बैंक ने 30 जून तक का समय मांगा था. बैंक की ओर से मांगी गई समय सीमा 2024 के आम चुनाव से कुछ ही समय पहले थी. इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दानदाता का डेटा एसबीआई की मुंबई शाखा में था और बैंक को केवल कवर खोलना, डेटा एकत्र करना और जानकारी देना था.
पिछले महीने एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक ठहराया था. कहा था कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. एसबीआई को 6 मार्च तक डेटा जुटाने और पोल पैनल को 13 मार्च तक भेजना का निर्देश दिया था.