- बंगला भाषा को बढ़ावा देने के लिए माताजी आश्रम की पहल
- शिक्षा और संस्कार के साथ बच्चों को मातृभाषा सीखने का अवसर
फतेह लाइव, रिपोर्टर
जमशेदपुर के पोटका स्थित कोवाली सरस्वती शिशु मंदिर में आज एक नई पहल के तहत ‘अपुर पाठशाला’ का उद्घाटन किया गया. इस पाठशाला का उद्देश्य बच्चों को बंगला भाषा सिखाना है. इस उद्घाटन समारोह में सम्माननीय अतिथि के रूप में साहित्यकार और समाजसेवी सुनील कुमार दे, शिक्षाविद शंकर चंद्र गोप, पूर्व जिला परिषद सदस्य करुणामय मंडल, गाजुड़ संस्था के संस्थापक जन्मेजय सरदार और माताजी आश्रम के अध्यक्ष कृष्ण पद मंडल उपस्थित थे. समारोह में विद्यालय द्वारा अतिथियों का अंग वस्त्र देकर स्वागत किया गया और दीप जलाकर माँ सरस्वती तथा भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए.
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बंगला भाषा के महत्व को समझाते हुए विभिन्न अतिथियों ने इस पहल की सराहना की
विद्यालय प्रबंधन कमिटी के सचिव पिंटू गुप्ता ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चों को अपनी मातृभाषा सीखने का अवसर मिलना जरूरी है. इस अवसर पर सुनील कुमार दे ने कहा कि मातृभाषा बंगला को बचाने के लिए माताजी आश्रम द्वारा गांव-गांव में इस प्रकार की पाठशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. करुणामय मंडल ने कहा कि मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता और बच्चों को अपनी मातृभाषा सीखनी चाहिए. शंकर चंद्र गोप ने विद्यालय के प्रयासों को सराहा और कहा कि शिशु मंदिर बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी देता है.
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200 से अधिक बच्चों ने बंगला सीखने के लिए उत्साह दिखाया
इस कार्यक्रम में गाजुड़ संस्था की ओर से बच्चों को बंगला सीखने के लिए पाठ्य सामग्री जैसे कलम और कॉपी वितरित की गई. लगभग 200 बच्चों ने बंगला भाषा सीखने के लिए पंजीकरण कराया. यह पाठशाला सप्ताह में एक दिन और एक घंटे के लिए होगी, ताकि बच्चों की अन्य पढ़ाई में कोई विघ्न न आए. इस अवसर पर जय हरि सिंह मुंडा, मृणाल पाल, उज्वल मंडल, कृष्ण मंडल, आशुतोष मंडल, विद्यालय के शिक्षक और छात्र भी उपस्थित थे. इस पहल से बच्चों को अपनी मातृभाषा सीखने का एक शानदार अवसर मिलेगा, जिससे वे अपनी संस्कृति और भाषा से जुड़ सकेंगे.