Charanjeet Singh, Chief Editor.












देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का झारखंड की प्रसिद्ध लौहनगरी में 15 सितंबर रविवार को कार्यक्रम था. इसकी तैयारियां पिछले एक माह से चल रही थी. टाटानगर स्टेशन से वन्दे भारत ट्रेनों को झंडी दिखानी थी. साथ ही कई अन्य योजनाओं का कार्यक्रम था।
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देश के प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम का तामझाम देखते ही बन रहा था. पूरे शहर की नजरें इसपे बनी हुई थी. उनके कार्यक्रम को लेकर कई सालों से अपनी जीविका चला रहे फुटपाथी दुकानदारों पर बुलडोजर चला कर उनसे रातों रात जीविका छीन ली गई। दिन रात एक कर स्टेशन इलाके की सफाई कराई गई. वैसे यह सफाई तो जरुरी थी, क्यूंकि देखने वाले बताते हैं कि स्टेशन बनने के बाद ऐसी सफाई कभी नहीं हुई. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर कई करोड़ खर्च कर दिए गए, जिसका नतीजा तब देखने को मिला जब मौसम ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में खलल डाल दी. टाटानगर स्टेशन का कार्यक्रम तो रद्द ही हो गया, जबकि अच्छे खासे स्टेशन को तोड़कर बहुत बदलाव किया था।
अब सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री का कार्यक्रम तय करने से पूर्व मौसम विभाग से पूर्वानुमान नहीं लिया गया था. आज के समय मौसम विभाग पूरी तरह आधुनिक है. विभाग के कई दावे सच होते हैं. रही बात प्रधानमंत्री के दौरे की तो नियमता इस आयोजन में सभी विभाग अलर्ट रहते हैं, तो फिर मौसम विभाग की चेतावनी को क्या कार्यक्रम को लेकर अनदेखा किया गया? क्या किसी राजनीतिक दबाव में यह कार्यक्रम तय हुआ था, जिसमें जनता की गाढ़ी कमाई को पानी में बहा दिया गया? इन सब खर्च का जवाब कौन देगा. आज भी देश में कई जरूरतमंद ऐसे हैं जो नौकरी, लोन के चक्कर में ठोकर खा रहे हैं. अगर यह करोड़ों करोड़ इन जरूरतमंद के बीच उपयोग किये जाते तो शायद प्रधानमंत्री की ज्यादा वाहवाही होती.
हालांकि मौसम की परवाह किये बगैर प्रधानमंत्री रांची से सड़क मार्ग द्वारा 130 किमी का सफऱ तय करके जमशेदपुर आये और कार्यकर्ताओं में जोश भर गए.