14 वर्षों के कार्यकाल में टाटानगर रेलवे पार्सल में बिताया सबसे अधिक वक्त
चरणजीत सिंह.
दक्षिण पूर्व रेलवे के मॉडल स्टेशन टाटानगर रेलवे स्टेशन में कर्मचारियों का सिक्का बोलता है. वैसे तो विभिन्न विभागों में वर्षों-वर्षों से रेल कर्मचारी एक ही स्थान पर जमे हैं, लेकिन इन दिनों टाटानगर रेलवे पार्सल में पदस्थापित राजेंद्र पाटिल की चर्चा जोर शोर से चल रही है. कहा जाता है कि उनका पार्सल विभाग में एक तरफा सिक्का चलता है. गत 14 सालों से वे यहां पदस्थापित है. गत सात माह पूर्व उनका तबादला जोजोबेड़ा जेसीबी विभाग में हुआ था, लेकिन रेल अधिकारियों से अपनी अच्छी सेटिंग गेटिंग होने के कारण वह फिर वापस पिछले चार दिनों से टाटानगर पार्सल में अपनी जगह में पहुंच चुके हैं. राजेंद्र पाटिल की वापसी से पार्सल में तरह तरह की बातें हो रही है. सहकर्मी कह रहे हैं कि पार्सल में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. अब इसे लेकर राजेंद्र पाटिल चर्चा में हैं. इस गंभीर मामले को लेकर चक्रधरपुर रेल मंडल के जन सूचना पदाधिकारी सह वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत राजेंद्र पाटिल का इतिहास भूगोल मांगा गया है. आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश कुमार ने यह प्रक्रिया शुरु की है, जिसके बाद पार्सल में खलबली मच गई है. सूत्र बताते हैं कि अगर इस खेल की निष्पक्ष जांच हो जाये, तो टाटानगर में तबादले को लेकर भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आएगा. वैसे यह मामला राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड, रेल जीएम, डीआरएम, सीनियर डीसीएम के पास भी गूंज चुका है. बकायदा विजिलेंस इस मामले की जांच में जुट गई है.
सूचना अधिकार के तहत यह मांगा गया जवाब
राजेन्द्र पाटिल, टाटानगर रेलवे स्टेशन पार्सल विभाग में 14 वर्ष पूर्व पार्सल क्लर्क के रूप में पदस्थापित हुये थे तथा वर्तमान में जोजोबेड़ा J.C.B. विभाग जो टाटानगर स्टेशन के युनिट के अन्तर्गत आता है। राजेन्द्र पाटिल पिछले 14 वर्षों में कब-कब, कहाँ-कहाँ पदस्थापित हुये हैं और कितने बार स्थानान्तरण हुआ, तथा पदस्थापन हुये है. उक्त पदस्थापन एवं स्थानांतरण का कार्यालय आदेश की छायाप्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
राजेन्द्र पाटिल पार्सल क्लर्क के रूप में कब से कब तक कार्यरत रहे हैं. उनके द्वारा किस वर्ष कितने रूपयों की राशि पार्सल कर रेलवे को अर्जित किया गया है तथा कितने अवैध राशि की वसूली की गई है. उसका सम्पूर्ण विवरणी अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
राजेन्द्र पाटिल द्वारा प्रथम पदस्थापन के बाद से कितने बार पदोन्नति हुई है तथा पदोन्नति से संबंधित कार्यालय आदेश की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय तथा उनके द्वारा PREVENTION OF SPECIFIED CORRUPT PRACTICE ACT 1983 की धारा 34 के तहत आय-व्यय की विवरणी की छाया प्रति अभिप्रमाधित उपलब्ध कराया जाय.
रेलवे विभाग, भारत सरकार के द्वारा रेल सेवा में पदस्थापित विभिन्न खिलाड़ियों के लिये अब तक कितने प्रकार के रेल विभाग द्वारा प्रावधान या नियमावली बनाई गई है. उक्त प्रावधान एवं नियमावली की छायाप्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
कमलेश कुमार ने कहा कि यह सूचना मांगे जाने का उद्देश्य राजेन्द्र पाटिल पार्सल क्लर्क टाटानगर के क्रियाकलाप भ्रष्टाचार फैलाने तथा अवैध राशि कमाने तथा रेल विभाग के राजस्व की लूट-खसोट करने तथा अवैध प्रतिबंधित समानों का बुकिंग कर अवैध राशि अर्जित करने के आरोप में कमी लाना है.
राजेंद्र पाटिल पर यह है आरोप
राष्ट्रपति को भेजी गई शिकायत के मुताबिक वर्ष 2023 की घटना है. दिल्ली जी-20 समिट सितंबर 9-10 तारीख को आयोजित हुआ था. उस वक्त इन्होंने एजेंटों के साथ मिलकर प्रतिबंधित पदार्थ डोडा बुक किया था, जो कि दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किया गया. इसमें डोडा बुक करने वाला एजेंट बीजू जेल चला गया, लेकिन माल बुक कराने वाले राजेंद्र पाटिल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इन्होंने अपने कार्यकाल में पलटईया माल को मोटी रकम लेकर राजधानी जैसे महत्वपूर्ण ट्रेन में सामान लोड करवा दिया, जो कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रतिबंधित है. राजधानी ट्रेन हाईस्केल ट्रेनों में एक है. उसमें केवल आर स्केल के ही पैकेज लोड हो सकते हैं, परुंतु नियम को ताक पर रखकर एजेंटों से मोटी रकम लेकर राजधानी ट्रेन में छोटे स्केल के माल को कई बार लोड कराया गया है. राजेंद्र पाटिल पर एक बार भुवनेश्वर में विजलेंस की कार्रवाई हुई, जिसमें एक कर्मचारी जो इनके साथ संलिप्त था.
उसका ट्रांसफर हो गया, लेकिन राजेंद्र पाटिल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इन्होंने अपने कार्यकाल में आवक गोडाउन से बड़ी मात्रा में मैन्युअल कैंसिलेशन करके रेलवे के वारफेज एमाउंट को रेलवे को न देकर अपने पास रख लेते थे. यह बैक डेट में मैन्युअल कैंलिलेशन करके पार्सल की डीलिवरी दे दिया करते थे. आवक गोडाउन की डीलिवरी खाता एनं ईएफटी रिकार्ड एवं एमआर की गहनता से जांच की जाये एव एक ही कैंसिलेशन नंबर पर डिलीवरी दी गई पार्सलों की जांच की जाये और सारे रिकार्ड खंगाले जाने पर बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा. कमलेश कुमार ने मांग की है कि इनको तत्काल रेल मंडल से बाहर किया जाए. उनके कार्यकाल की जांच कराई जाए और रेलवे को जो राजस्व का चूना लगाया है उसे राजेंद्र पाटिल से वसूला जाए. एक सरकारी कर्मचारी को सरकार इतना वेतन देती है, उसके बाद भी इस तरह से घूसखोरी का डंका बजाकर रेलवे की क्षवि को धूमिल करने का काम राजेंद्र पाटिल जैसे कर्मचारी कर रहे हैं. कमलेश कुमार ने यह भी मांग की है कि टाटानगर स्टेशन के पार्सल, रिजर्वेशन, बुकिंग आदि विभागों में भी जमे कर्मचारियों का तबादला समय समय पर होना चाहिए.