फतेह लाइव, रिपोर्टर.

झारखंड उच्च न्यायालय ने सतनाम सिंह गंभीर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें झारखंड में नवंबर 1984 के सिख विरोधी दंगों से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और सिखों से संबंधित आपराधिक मामलों की निगरानी की मांग की गई थी. मामले की जानकारी देते हुए सतनाम सिंह गंभीर ने बताया कि अदालत ने इस बात पर असंतोष जताया है कि इस मामले में एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट अभी तक अदालत में पेश नहीं की गई है.

राज्य सरकार से पूछा गया है कि यह रिपोर्ट कब प्रस्तुत की जाएगी तथा राज्य सरकार को वन मैन कमीशन की रिपोर्ट भी शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं. अदालत ने कहा कि रिपोर्ट से केवल यह स्पष्ट होगा कि कितने पीड़ितों को मुआवजा मिला है और कितने अभी भी पीड़ित हैं. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने अदालत को बताया था कि मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है.

वन मैन कमीशन द्वारा अनुशंसित 41 पीड़ितों में से 39 पीड़ितों को मुआवजा दिया जा चुका है. पिछली सुनवाई में आवेदक के वकील ने अदालत को बताया था कि आयोग ने राज्य सरकार को चार जिलों में सिख नरसंहार के पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था. वहीं, राज्य सरकार ने कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा गठित एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के तहत मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया चल रही है. हाईकोर्ट के आदेश पर सिख नरसंहार मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डीपी सिंह की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी. आयोग ने सिख नरसंहार से प्रभावित झारखंड के चार जिलों रांची, रामगढ़, बोकारो और पलामू के लोगों को मुआवजा देने के संबंध में आदेश पारित किया है. अदालत में चल रहे मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.

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