फतेह लाइव, रिपोर्टर.

झारखण्ड के पूर्वी सिंहभूम जिले में एलिफेंट कारीडोर तथा रिजर्व फारेस्ट पर लगातार हो रहे कीमती खनिज पत्थरों के अवैध खनन पर झारखण्ड उच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब तलब किया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद एवं जस्टिस ए के राय की डिविजनल बेंच ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे गंभीर मामला बताया और झारखण्ड सरकार को इस मामले में तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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इस सम्बन्ध में आरटीआई कार्यकर्त्ता सिरमा देवगम ने एक जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेश कुमार ने अदालत को बताया की पूर्वी सिंहभूम जिला के मुसाबनी, डुमरिया, भालकी, चाकुलिया, घाटशिला के रिजर्व फारेस्ट एवं पब्लिक फारेस्ट, सहित समूचे एलिफेंट कारीडोर को खनन माफिया वन पदाधिकारियों की मिलीभगत से नष्ट कर रहे हैं.

इन स्थानों से प्रतिदिन भारी मात्रा में कीमती खनिज पत्थरों का खनन किया जा रहा है, जिसके कारण वन सम्पदा नष्ट हो रही है और हाथी एलिफेंट कारीडोर से बाहर निकल जा रहे हैं और आस -पास बसे गांवों में जान -माल की हानि तो कर ही रहे हैं. करंट लगने से हाथियों की लगातार मौते भी हो रही है. प्रार्थी ने इस अवैध कारोबार में शामिल सभी पदाधिकारियों और तस्करों पर कड़ी कारवाई करने की मांग की है.

ज्ञात हो की इन अवैध खनन के कारण वन भूमि के नष्ट होने का खामियाजा चाकुलिया, घाटशिला और मुसाबनी वन क्षेत्र के सघन आबादी वाले क्षेत्रों में रहें वाले लोग भुगत रहे हैं. आये दिन हाथियों के हमले से लोगों के घर टूट रहे हैं , कई लोगों की हाथियों के हमले से मौते भी हो चुकी है.अब तो आलम ये है की हाथियों के खाने के लिए जंगलों में वनस्पतियाँ और पेड़ -पौधे भी नहीं बचे, जिसके कारण हाथियों का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. अदालत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए इसे एक गंभीर मामला बताया है और झारखण्ड सरकार से इस मामले में तीन सप्ताह के अन्दर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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