फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जिला सरायकेला-खरसावां में बंद अभिजीत कंपनी स्क्रैप सप्लायर के लिए तो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी से कम नहीं है. सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को है तो वो चोरी का स्क्रैप सप्लायर है जो अभिजीत से माल निकालने के बाद किसी ऐसे व्यापारी को दे जो खरीदने की हिम्मत उठा सकें.
यह सुनियोजित चोरी का स्क्रैप खरीद-बिक्री कई चरणों से होकर गुजरता है. तब यह माल गोदाम या टाल से फर्जी जीएसटी बिल के साथ छोटी-बड़ी कंपनियों में ऊंची कीमत पर बिकता है.
पहला चरण शुरू होता है जहां चोरी के लिए बड़ी संख्या में चोर घुसते हैं और स्क्रैप काटते हैं. ये चोर ऐसे हैं जिनके अभिजीत में स्क्रैप कटिंग का काम सालों भर चलता है, क्योंकि कंपनी की बाउंड्री ही टूटी है और उसे चोरी के लिए ही सालों भर खुला रखा गया है. यहीं से चोर घुसते हैं ये चोर पहले झोपड़ी में रहने वाले थे. अब इनके बड़े और पक्के मकान हो गये हैं.
ये सभी खरसंवा और बुरूडीह गांव के ही बेरोजगार थे, जो सालों से स्क्रैप चोरी के धंधे में घुस गये. इनमें कुछ चर्चित नाम है भुवनेश्वर दास, राकेश तांती, सुरेश महतो, कृष्णा, नाटू पूर्ति व अन्य.

दूसरे चरण में सप्लायर का रोल शुरू हो जाता है जो चोरी का स्क्रैप खरीद-बिक्री के लिए छोटे-बड़े व्यापारी और कंपनियों को सेट कर माल देता है. ऐसे चर्चित सप्लायर में ज्यादातर नाम जमशेदपुर से हैं जिसमें बागबेड़ा के जुगसलाई का चर्चित माफिया मोहम्मद चांद, नाटू पूर्ति और बागबेड़ा का अमन गुप्ता जो खुद एक सर्किल इंस्पेक्टर का रिश्तेदार बताये चल रहा है. ये चोरों द्वारा इकट्ठा कर रखे गए स्क्रैप का सौदा करना.
इसके लिए माल का वीडियो बनाकर भेजा जाता है और जब सौदा पट जाए तब रात के अंधेरे में माल उठाया जाता है. इसके पहले सभी पासिंग चार्ज एडवांस में भुगतान किए जाते हैं. पुलिस और पोलिटिशियन तक को मंथली पर सेट करके रखा गया है. यही कारण है कि आज तक किसी बड़े राजनीतिक दल या नेता ने इस चोरी का विरोध नहीं किया और न इसका मुद्दा कभी लोकसभा या विधानसभा में उठाया गया है. उल्टे कुछ राजनीतिक दल के नेता भी इस धंधे के पैरवीकार बन जाते हैं.
तीसरा चरण है चोरी के माल को सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर, बंगाल और उड़ीसा तक छोटी-बड़ी कंपनियों में खपाना, जिसमें सप्लायर से खरीदकर छोटी-छोटी पिक अप वैन, 407 या ट्रक में लादकर गोदाम व टाल तक पहुंचाया जाता है. इसमें जमशेदपुर, खरसंवा, आदित्यपुर, सरायकेला कोलेबिरा और गम्हरिया में छोटे-बड़े खरीदार हैं जो थाना को मंथली देकर सालों से स्क्रैप खरीदते और बेचते हैं.
इसमें कुछ चर्चित नाम हैं सुनील नरेडी जिसकी कंपनी व गोदाम कोलेबिरा में है. आदित्यपुर का गोदाम मालिक नवनीत तिवारी, कांड्रा का अखिलेश पोद्दार, सरायकेला का मन्नू और दीपक गुप्ता, चांडिल का करण सिंह, जमशेदपुर से सोनारी का अभिषेक अग्रवाल और बर्मामाइंस लाल बाबा के कुछ स्क्रैप कारोबारी. ये सभी छोटे-बड़े कंपनियों में फर्जी चालान और फर्जी जीएसटी बिल लगाकर रोजाना लाखों का स्क्रैप खरीद-बिक्री के लिए जाने जाते हैं.
इनमें आपसी खींचतान और विरोधाभास भी चलता है फिर शुरू हो जाता है एक दूसरे को जेल भिजवाने और माल पकड़वाने का धंधा.
चौथा और अंतिम चरण है जहां चोरी का माल खरीदने के बाद छोटी-बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है और इन्गोट वगैरह बनाकर चोरी के स्क्रैप का स्वरूप बदल दिया जाता है. ये छोटी-बड़ी कंपनियां इस धंधे की वो कड़ी हैं, जो सुबह से रात तक एक सूत्री काम में करोड़ों रुपए कमा चुके हैं.
इनमें कामसा और पूर्वी नामक कंपनियों का नाम चर्चित है. जहां नवनीत इंटरप्राइजेज, अखिलेश पोद्दार, शिव अरोड़ा जैसे लोगों का सिक्का चलता है, यानी आप वहां कोई भी कैसा भी दो नंबर माल ले जाईए और डिलीवरी के बाद पेमेंट तिवारी, अरोड़ा और पोद्दार से पाईये. फिर इन एकाउंट होल्डर को एक साथ मhiने में मोटी रकम वो कंपनियों से भुगतान होगा.हालांकि इन कंपनियों की सेटिंग तो ऐसी हैं कि सभी तरह के जाली कागजात इनके पास तैयार रहते हैं और अगर कहीं कोई छापेमारी हो भी गई तो जबरदस्त पैरवी रखते हैं,बाकी मंथली भी सबका फिक्स है.
फर्जी चालान और जीएसटी बिल का है बड़ा खेल
कोल्हान में बड़ी संख्या में छोटे-बड़े औद्योगिक घराने हैं और ऐसे में चोरी के माल को खपाने के लिए फर्जी चालान और जीएसटी बिल का सहारा कैसे लिया जाता है ये सभी धंधेबाज जानते हैं.31 मार्च की रात डीएसपी हेडक्वार्टर द्वारा नवनीत तिवारी के ट्रक को पकड़ने के बाद जांच में ऐसे ही सबूत मिले हैं.कैसे चोरी के स्क्रैप को खपाने के लिए जुगसलाई के पंकज खंडेलवाल की कंपनी मां भगवती इंटरप्राइजेज ने जीएसटी एकट का उल्लंघन किया यह सबने देखा.बस यही काम जमशेदपुर, चाईबासा और सरायकेला में छोटे-बड़े व्यापारी धड़ल्ले से कर रहे हैं इसमें हाल में जेल गए विक्की भालोटिया का भी नाम है.
ज्यादातर मामलों में जब ऊपर तक शिकायत जाती है और कभी राह चलते या गोदाम से माल पकड़ा भी जाता है तो छोटे-छोटे कर्मचारी जैसे मजदूर, मुंशी, ड्राइवर और खलासी पकड़ लिए जाते हैं. सरगना वैसे ही बचा लिए जाते हैं, जैसे नवनीत तिवारी अब तक खुलेआम घूम रहा है. फिर वे अपनी सेटिंग भी भिड़ जाते हैं, ताकि मामला ठंडा पड़ जाए.