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सिखों के शब्द गुरु श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के 421वें पहले प्रकाश दिहाड़े की पावन बेला में जमशेदपुर के युवा प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने गुरु अर्जुन देव जी के संदेशों के प्रचार कर गम्हरिया की संगत को निहाल किया। बुधवार को जमशेदपुरी ने गम्हरिया गुरुद्वारा साहिब में गुरु ग्रन्थ साहिब की पावन और पवित्र बाणी के विभिन्न तुकों की व्याख्या संगत के ज्ञान वर्धन किया।

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गम्हरिया गुरुद्वारा साहिब में आयोजित विशेष समागम में हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने गुरु ग्रन्थ साहिब के अंग 185 अंकित तुक राग गुआरेरी “पिउ दादे का खोल डिठा खजाना ता मेरे मन भया निधाना” की व्याख्या करते हुए बताया की गुरु अर्जुन देव साहिब जी ने इस पावन तुक को अपने मुख से उच्चारण करते हुए गुरु ग्रन्थ साहिब में कहा कि यह बाणी खजाना स्वरुप है, जो पिता और दादा से विरासत में मिली है. उस पवित्र बाणी को पढ़ कर उनका मन धन्य हो गया।

हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने संगत से अपील की है कि हर सिख को इस खजाने को रोज पढ़ना चाहिए और पढ़ कर अपने जीवन मे भी अमल करना चाहिए। इस गुरमत समागम को सफल बनाने मे गुरदुवारा कमेटी के इंदर्जित सिंह, पतवंत सिंह, चंचल सिंह, सुखजीत सिंह, सौदागर सिंह, बीबी अरविन्दर कौर, चरणजीत कौर, राजिंदर कौर का महत्वपूर्ण सहयोग रहा.

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