- बहिष्कृत परिवारों ने डीसी से अपनी समस्याएं साझा की, नया ग्राम प्रधान चुनने की मांग
फतेह लाइव, रिपोर्टर
पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां 12 गांवों के 118 संथाल परिवारों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया है. यह परिवार गुरुवार को जमशेदपुर स्थित उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्याओं को प्रशासन के समक्ष रखा. इन परिवारों की मुख्य मांग यह है कि उन्हें अपना ग्राम प्रधान चुनने की अनुमति दी जाए. इन परिवारों ने गुरा हेंब्रम को नया ग्राम प्रधान चुन लिया है और अब वे चाहते हैं कि प्रशासन इसे आधिकारिक रूप से स्वीकृति प्रदान करे.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : अमृत वेला परिवार का 51वां शुक्राना समागम जुगसलाई गुरुद्वारा में 20 अप्रैल को
गांव में छोटे-छोटे कारणों से बढ़ रहा बहिष्कार, सामाजिक और धार्मिक जीवन पर असर
ग्रामीण टुकाराम मार्डी ने बताया कि गांव के वर्तमान ग्राम प्रधान किसी भी छोटी सी बात पर नाराज हो जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप परिवारों का धार्मिक और सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है. इस बहिष्कार के कारण इन परिवारों का सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो गया है. उन्हें गांव के कुएं और अन्य जलस्रोतों से पानी लेने की इजाजत नहीं दी जाती है, और यहां तक कि मृत्यु के समय भी अंतिम संस्कार में अड़चनें आती हैं. गांववालों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इन परिवारों से बातचीत न करें और इनकी धार्मिक कार्यक्रमों में उपस्थिति पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
इसे भी पढ़ें : Ranchi : झारखंड में मौसम बदलने की चेतावनी, तेज हवाओं और ओलावृष्टि का अलर्ट
नए ग्राम प्रधान को मान्यता देने की मांग, बच्चों को भी झेलनी पड़ रही है उपेक्षा
इन परिवारों का आरोप है कि गांव के प्रधान सरकारी योजनाओं के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देते हैं, जिसके कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. 13 अप्रैल को डुमरिया के छोटा अस्ति गांव में आयोजित बैठक में इन परिवारों ने सोनाराम हेंब्रम की अध्यक्षता में गुरा हेंब्रम को नया ग्राम प्रधान चुन लिया. अब इन परिवारों की मांग है कि प्रशासन इस नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान को स्वीकृति दे, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें. इसके अलावा, बच्चों के मामले में भी सामाजिक बहिष्कार देखा जा रहा है. मनीराम मुर्मू के बेटे कुंवर मुर्मू ने बताया कि वह स्कूल में पढ़ाई करता है, लेकिन उसके सहपाठी उससे बात नहीं करते और न ही उसके साथ खेलते हैं.