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हूल दिवस न केवल आदिवासी गर्व का प्रतीक है, बल्कि यह एक मंच भी है जहाँ शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। हूल दिवस सिद्धू कानू, चांद भैरव और फूलो झानो की याद में मनाया जाता है। इस आयोजन में हमारे सम्मानित प्राचार्य, उपप्राचार्य शिक्षकगण, स्टाफ सदस्य और छात्र उपस्थित थे। यह कार्यक्रम निकिता कुमारी और ज्योति कुमारी द्वारा शुरू किया गया, जिन्होंने पूरे समारोह और इसके प्रतिभागियों के बारे में गहन जानकारी प्रदान की।

इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रतिभागियों ने निम्नलिखित प्रस्तुतियाँ दीं:

हिंदी भाषण – शिवानी टुडू ,अंग्रेजी भाषण – बेबी कुमारी ,
पीपीटी प्रस्तुति – रोहित पोद्दार, अलीजा सामद और चांद मुणि मुंडा,संथाल कविता – मेघा तुडू,हिंदी कविता – निकिता तामसोई,,मलयालम कविता – आयशा माल्टो,अंग्रेजी कविता – मेरियम माल्टो, द्वारा किया गया।

महाविद्यालय की प्राचार्या ने बताया कि कैसे सिद्धू ,कान्हू, चांद ,भैरव और फूलो झानू ने संथाल ज़मींदारी को बचाने के लिए हूल क्रांति का आरंभ किया और बताया कि हमें अपने इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहिए। अंत में बेबी रानी जाना द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय की सचिव श्री प्रिया धर्मराजन, सह सचिव सुधा दिलीप ,प्राचार्या, उप प्राचार्या, सभी शिक्षक गण, ऑफिस स्टॉफ ,सभी छात्रगण ने अपनी -अपनी भूमिका निभाई।

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