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बोनस के प्रतिशत में मामूली फेरबदल, 10.6 फीसद राशि ही जायेगी
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ट्रेड अप्रेंटिस के तहत कर्मचारी पुत्रों की स्थाई बहाली की हुई व्यवस्था
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यूनियन नेतृत्व का दावा, वर्तमान हालात में सबसे बेहतर समझौता किया
- चरणजीत सिंह.
- टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में शनिवार को सालाना बोनस समझौता हो गया। पहली नजर में यह पिछले साल हुए बोनस समझौता की छायाप्रति दिखता है। बीते साल कर्मचारियों को 10.5 फीसद बोनस मिला था, तो इस साल 10.6 प्रतिशत। टाटा मोटर्स में आम तौर पर बोनस के साथ अस्थाई कर्मचारियों के स्थाईकरण की संख्या पर भी समझौता होता रहा है। न्यायिक आदेश के बाद टाटा मोटर्स में अस्थाई कर्मचारियों की व्यवस्था अब समाप्त की जा रही है। इस बोनस समझौता में स्थाई होने वाले पहले से तय संख्या में और 100 लोगों को जोड़ा गया। कर्मचारी पुत्रों की ट्रेड अप्रेंटिस के तहत स्थाई बहाली की व्यवस्था भी बनाई गई। बोनस समझौता से टाटा मोटर्स के कर्मचारियों को बतौर बोनस औसतन 46000 हजार रुपये मिलेंगे, जैसा कि यूनियन नेतृत्व ने दावा किया है।
टाटा मोटर्स में कर्मचारियों की संख्या और उनका बोनस प्रतिशत देखें
कुल स्थाई कर्मचारी : 6101
स्थाई को इतना : 10.6
इतने अस्थाई कर्मी : लगभग 2250
अस्थाई को इतना : 8.33
बोनस समझौता में यह भी
न्यायालय के आदेश के बाद टाटा मोटर्स प्रबंधन और यूनियन ने हर साल 900 अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करने का फैसला लिया है। जब यह आदेश प्रभावी हुआ तो टाटा मोटर्स में लगभग 27 सौ अस्थाई कर्मचारियों थे। अब लगभग साढ़े 6 सौ अस्थाई के पदनाम के आगे से अ हट गया है। वे स्थाई हो चुके हैं। बोनस समझौता में तय हुआ कि 900 के अलावा और 100 अस्थाई कर्मचारियों का इस साल स्थाईकरण किया जायेगा। आशय यह कि यह साल समाप्त होगा तो टाटा मोटर्स में अस्थाई कर्मचारियों की कुल संख्या घट कर लगभग 22 सौ रह जायेगी।
टाटा मोटर्स प्रबंधन अपनी जरूरत के मुताबिक ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा कुछ कुछ सालों मे कराता रहता है। उसके लिए आवेदन लिए जाते हैं। कर्मचारी पुत्रों के लिए परीक्षा होती है तो आम आवेदकों के लिए भी। जो कर्मचारी पुत्र नहीं है, उन्हें ट्रेड अप्रेंटिस का कोर्स करने के बाद प्रमाणपत्र मिलता रहा है तो कर्मचारी पुत्रों को अस्थाई कर्मचारी बनने का मौका। पूर्व में निकाले गए आवेदन के आधार पर 100 से अधिक कर्मचारी पुत्र ट्रेड अप्रेंटिस कर लिए है। न्यायिक आदेश के बाद टाटा मोटर्स प्रबंधन ने उन्हें अस्थाई कर्मचारी के तौर पर नहीं लिया। इस बोनस समझौता में तय हुआ कि उनको डिप्लोमा कोर्स कराया जायेगा। इस अवधि में उन्हें लगभग 11 से 14 हजार रुपये तक स्टाइपेंड राशि मिलेगी। इसके बाद वे स्थाई कर्मचारी के तौर पर बहाल किये जायेंगे।
बोनस समझौता में इस बात पर भी सहमति बनी कि कंपनी प्रबंधन द्वारा कर्मचारी पुत्रों के लिए ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा निकाली जायेगी। जो उतीर्ण होगा, वो कोर्स करेगा। फिर कंपनी द्वारा डिप्लोमा कोर्स कराया जायेगा। उसके बाद उनका स्थाईकरण होगा। ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा कंपनी अपनी जरूरत के मुताबिक करायेगी। यह जरूर तय हुआ कि इस साल प्रबंधन 200 सीट के लिए एक्जाम लेगा।
बोनस समझौता में इन्होंने किया हस्ताक्षर
टाटा मोटर्स प्रबंधन : प्लांट हेड रवींद्र नरसिंहा कुलकर्णी, एचआर हेड मोहन गंटा,आईआर हेड सौमिक राय, लीगल हेड आनंद वर्धन
टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन : अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते, महामंत्री आरके सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष अनिल शर्मा, एसएच सैनी
अध्यक्ष के बोल
फतेह लाइव से हुई बातचीत में यूनियन अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते ने कहा कि टाटा मोटर्स एक आटो मोबाइल कंपनी है. अन्य कंपनियों से यहां काम का नेचर बहुत अलग है. शहर की विभिन्न कंपनियां कचरे से लोहा बनाती है. टाटा स्टील को छोड़कर अगर हम अन्य इकाईयों की बात करें, तो आठ हजार कर्मचारी कहीं भी नहीं है. टाटा मोटर्स कई चेलेंज के साथ बाजार में टिकी हुई हैं. अशोक लिलैंड को देखें तो उनकी गाड़ियों पर चार लाख का डिस्काउंट चल रहा है. इसी तरह महेंद्रा व अन्य भी कई ऑफर देती है, लेकिन टाटा मोटर्स बिना डिस्काउंट के बाजार में बनी हुई है. यही कारण है कि कंपनी का बोनस प्रतिशत बढ़ नहीं पाता है. वहीं अन्य कंपनियों की बात करते हैं तो किसी में भी एम्प्लोयीमेंट नहीं होती, केवल टाटा मोटर्स ही है जो हर साल अच्छे लोगों को स्थाई करती है. नवंबर में फिर कर्मचारी पुत्रों की वेकेंसी निकलनी है. इस पर यूनियन और प्रबंधन प्रयासरत है कि किस तरह की आसान प्रक्रिया लाकर इन्हें बहाल करना है.
विरोधी बोले
टाटा मोटर्स में ऐतिहासिक बोनस समझौता का मौका गंवा दिया : हर्षवर्धन
टाटा मोटर्स में मान्यता प्राप्त टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के घोर विरोधी हर्ष वर्धन ने फतेह लाइव से कहा कि टाटा मोटर्स के इतिहास में सबसे अधिक मुनाफा बीते साल दर्ज किया गया। टाटा मोटर्स के इंडिया ऑपरेशन को 7902 करोड़ का मुनाफा हुआ। इस बार यूनियन नेतृत्व पर कर्मचारियों के स्थाई करण का भी दबाव भी नहीं था। ऐसे में 10.6 प्रतिशत बोनस कराने पर यूनियन नेतृत्व को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। मजदूर सारा किताब जोड़ कर रख रहे है। सही समय पर सूद ब्याज के साथ वापस करेंगे। उन्होंने कहा कि टाटा मोटर्स में गोपेश्वर लाल के समय ऐतिहासिक समझौता हुआ था। तब मजदूरों को 19.2 फीसद बोनस मिला था। इस बार यूनियन नेतृत्व के पास ऐतिहासिक समझौता करने का अवसर था। उसने यह मौका गंवा दिया।