कर्मचारी कम होने का वास्ता देकर दो ऑफिस बेयरर और छह कमेटी मैम्बर का पद खत्म
वार्षिक आमसभा में पेश प्रस्ताव को अंग्रेजी में पढ़ा गया, ज्यादातर कर्मचारी समझ ही नहीं पाए
जुस्को ग्रीन में हुई यूनियन की वार्षिक आमसभा में नहीं आया श्रम विभाग का एक भी प्रतिनिधि
चरणजीत सिंह.
मजदूर राजनीति के शातिर खिलाडी रघुनाथ पांडेय उर्फ बाबा की जुस्को श्रमिक यूनियन की बुधवार को जुस्को ग्रीन में वार्षिक आमसभा हुई। इसका संचालन यूनियन अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय ने किया। महामंत्री सीडीएस कृष्णा ने वार्षिक आमसभा में प्रस्ताव पेश किया। उनका संबोधन अंग्रेजी में हुआ। अधिकतर बातें वार्षिक आमसभा में आये कर्मचारियों के पल्ले ही नहीं पड़ी। उन्हें समझ नहीं आया। वार्षिक आमसभा में श्रम विभाग के कोई अधिकारी भी बतौर पर्यवेक्षक नहीं आये। आमसभा में जो प्रस्ताव पेश किये गए उसके मुताबिक यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन की जगह पांच साल हो जायेगा। यह भी बताया गया कि जुस्को बना था तो तकरीबन साढ़े 1400 कर्मचारी होते थे। अब सिर्फ 678 है। कर्मचारियों के कम होने का वास्ता देकर यूनियन में दो ऑफिस बेयरर और छह कमेटी मैम्बर का पद खत्म करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
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अभी तक यूनियन में 12 ऑफिस बेयरर यानी पदाधिकारी चुने जाते रहे हैं तो 23 कमेटी मैम्बर मतलब कार्यकारिणी सदस्य। प्रस्ताव के मुताबिक यूनियन उपाध्यक्ष और सहायक सचिव का एक एक पद खत्म हो जायेगा। यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि जुस्को का नाम बदल कर टाटा स्टील यूएसआईएल हो गया है। इसलिए यूनियन का नाम भी बदल कर टाटा स्टील यूएसआईएल श्रमिक यूनियन किया जायेगा। अभी तक यूनियन के पूर्व महामंत्री एस एल दास का सोनारी आवास ही यूनियन के पता के तौर पर दर्ज है। अब यूनियन का पता जे रोड 38 नंबर कर दिया गया है जहाँ अभी यूनियन कार्यालय चल रहा है। वार्षिक आमसभा में पिछले कई वित्तीय वर्ष के आय व्यय को पेश किया गया। 2021 से 2024 तक का एकाउंट एक बार में ही वार्षिक आमसभा से पारित करा लेने का दावा किया गया। यूनियन नेतृत्व का दावा है कि सारे प्रस्ताव को आम सहमति से आमसभा ने पारित किया है। अब गेंद श्रम विभाग के पाले में होगी। श्रम विभाग की मुहर लगेगी, तभी यह लागू हो सकेगा। यदि आपत्ति आ गई अथवा कोई प्रस्ताव विधि सम्मत नहीं दिखा तो श्रम विभाग तदनुरूप कार्यवाही करेगा। आमसभा में धन्यवाद ज्ञापन यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष अमरनाथ तिवारी ने किया. एक और अहम बात यह रही कि यूनियन के चंदा की राशि बढ़ा दी गई। यह काम भी उन्हीं लोगों से कराया गया जिनके मेहनत की कमाई से यह चंदा काटा जाना है।
सरकार की नई अधिसूचना आई तो यूनियन की वर्तमान समिति का कार्यकाल तीन से बढ़कर पांच साल
वार्षिक आमसभा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि यूनियन की वर्तमान कार्यसमिति का कार्यकाल तीन से बढ़ा कर पांच साल का कर दिया गया है. इस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है. भारत सरकार ने इस ट्रेड यूनियन का अधिकतम कार्यकाल तीन से बढा कर पांच साल करने की दिशा में कुछ कदम उठाया है। इसे अवसर मानते हुए जुस्को की वर्तमान कार्यसमिति ने अपना कार्यकाल बढ़ाने की व्यवस्था कर ली है। आमसभा में यह प्रस्ताव लाया गया कि यदि भारत सरकार ऐसी अधिसूचना निकालती है तो जुस्को यूनियन का कार्यकाल तत्काल प्रभाव से पांच साल हो जायेगा। याद दिला दे कि अक्टूबर 2024 में जुस्को श्रमिक यूनियन का चुनाव हुआ था और कर्मचारियों ने तीन साल के लिए वर्तमान कार्यकारिणी को चुना है। इस लिहाज से यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल अक्टूबर 2025 में पूरा हो जायेगा। अगर पांच साल का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव प्रभावी होता है तो यूनियन का अगला चुनाव अक्टूबर 2027 में होगा।
सिर्फ अध्यक्ष के लिए होगा को-ऑप्शन, उसमें भी बाहरी अमान्य
एजीएम के दौरान यह भी प्रस्ताव लाया गया कि अब सिर्फ यूनियन अध्यक्ष के लिए को-आप्शन किया जाएगा. यह भी शर्त रख दी गई है कि सिर्फ टाटा स्टील या टाटा स्टील यूसीआईएल से सेवानिवृत कर्मचारी का ही को ऑप्शन हो सकेगा, बाहरी व्यक्ति का नहीं।
अभी तक महासचिव के पद के लिए भी को-ऑप्शन का प्रावधान रहा है। उसे खत्म करने का प्रस्ताव वार्षिक आमसभा में लाया गया है। यह प्रस्ताव लागू हुआ तो महामंत्री भी यूसीआईएल का कोई कर्मचारी ही बन सकेगा। हाँ, रघुनाथ पांडेय को कुर्सी से हिलाना और कठिन होगा। वो टाटा स्टील के सेवानिवृत कर्मचारी है। कुछ समय पहले कैबिनेट मंत्री बन्ना गुप्ता के जुस्को यूनियन में आने का प्रयास करने की बात उठी थी। यह प्रस्ताव प्रभावी हो गया तो बन्ना गुप्ता समेत किसी भी बाहरी नेता का इस यूनियन में को ऑप्शन के जरिये प्रवेश पूरी तरह निषेध हो जायेगा।
रघुनाथ ने टाटा वर्कर्स यूनियन के लिए भी बना दिया रास्ता
टाटा स्टील में भी कर्मचारियों की संख्या घटा कर साढ़े 8 हजार से भी कम करने का समझौता हो चुका है। यह काम टाटा वर्कर्स यूनियन के वर्तमान नेतृत्व ने ही किया है। यहाँ भी कर्मचारी कम हो रहे हैं तो यूनियन के कमेटी मैम्बरों की संख्या कम करने का दबाव है। अभी तक दिक्कत यह थी कि सबसे पहले बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधेगा। रघुनाथ पांडेय ने जुस्को श्रमिक यूनियन में ऑफिस बेयरर और कमेटी मैम्बर की संख्या 20 फीसद कम कर दिया है। अगर इसी को आधार माना जाय तो टाटा वर्कर्स यूनियन में कमेटी मैम्बरों की संख्या में न्यूनतम 44 की कमी आयेगी। टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू के करीबी लोगों में चर्चा भी है कि कमेटी मैम्बरों की संख्या घटा कर 150 के आसपास करना होगा और इसी बीच यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ा कर तीन से पांच साल कर लिया जायेगा।