ट्यूब डिवीजन में ड्यूटी खत्म तो सामने मयखाना में गम का इजहार
एसएसएस नहीं स्वीकार तो कलिंगा नगर या लुधियाना के लिए हो जाओ तैयार
चरणजीत सिंह.
टाटा स्टील के ट्यूब डिवीजन में स्पेशल सेपरेशन स्कीम चल रही है. नौकरी छोड़ जिंदगी काटने के लिए पूर्व की ईएसएस या वीआरएस से कही बेहतर योजना, जिन्हें स्वीकार है, उनकी तो बल्ले बल्ले. जो ट्यूब डिवीजन में और नौकरी करने के ख्वाहिशमंद हैं, उनकी पीड़ा जाननी हो तो ट्यूब डिवीजन के सामने किसी मयखाना का चक्कर काट आइए.
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मंगलवार की दोपहरी बी शिफ्ट की ड्यूटी की समाप्ति के बाद ट्यूब गेट के नजदीक ही कुछ कर्मचारियों का जमावड़ा हुआ. बोतल के सहारे गम गलत करने की कोशिश चली. उसी दौरान एक कर्मचारी के मोबाइल पर मैसेज आया जिसमें टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू और डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह नाचते दिखे. मौका था यूनियन के ऑफिस बेयरर राजीव चौधरी के पुत्र की धनबाद में निकली बारात का. नशे के सुरूर में आ चुके एक कर्मचारी ने वीडियो देखने के बाद शायरी सुनाई कि जिंदगी के इस रंग मंच का अजीब खेल है, कहीं खुशी का नाच तो कही ग़म का मेल है.

दरअसल, टाटा स्टील के ट्यूब डिवीजन में मानव संसाधन को कम करने के लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं. अभी सिर्फ ट्यूब डिवीजन के लिए एसएसएस योजना लाई गई है. कर्मचारियों को मौका दिया गया है कि यदि खुद की मर्जी से नौकरी छोड़ दे तो उन्हें बहुत कुछ हासिल हो सकता है. कर्मचारियों को ऐसा नहीं लगा था कि अचानक इसके लिए दबाव बढ़ जाएगा. कारखाना के भीतर ऐसा माहौल बन गया कि खुद नौकरी नहीं छोड़ी तो कलिंगा नगर या लुधियाना जाने को तैयार रहना होगा. टाटा वर्कर्स यूनियन के कुछ कमेटी मैंबर के भी चेहरे उड़े हुए हैं.
उन्हें भी लग रहा है कि लंबा नहीं खींच पाएंगे. यूनियन कार्यालय का चक्कर तेज कर दिए हैं. अब ऐसे माहौल में ट्यूब के कर्मचारियों के बीच अपने नाचते यूनियन अध्यक्ष का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है तो रह रह कर उनकी पीड़ा और गुस्सा फूट रहा है. शब्द भी बहक रहे हैं. टुन्नू चौधरी और शैलेश कुमार सिंह के साथ राजीव चौधरी के बेटा की बारात में अजय चौधरी और संजय सिंह ने आनंद उठाया. सतीश सिंह, शाहनवाज आलम, आमोद दुबे, संजीव तिवारी, नितेश राज इससे अलग रहे.
पीएन की जगह टुन्नू अध्यक्ष की भूमिका में आए थे तब भी हिल गया था ट्यूब डिवीजन
टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पी एन सिंह का मजदूर जगत में विशिष्ट स्थान है. ईमानदारी, ट्रेड यूनियन के ज्ञान, स्टील उद्योग के उत्पादन की समझ और साहस के लिए उनका हर कोई आदर करता है, चाहे सहयोगी हो या विरोधी. झारखंड में मजदूर राजनीति से जुड़े लोग मानते है कि कुछ लोगों ने चक्रव्यूह तैयार कर उनकी ट्रेड यूनियन की सियासत का वध कर दिया था. वे टाटा स्टील से सेवानिवृत हो गए तो टाटा वर्कर्स यूनियन के संविधान का हवाला देकर टाटा स्टील प्रबंधन ने उनके यूनियन अध्यक्ष होने पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया. पी एन सिंह यूनियन कार्यालय आते थे. कारखाना के भीतर नहीं जाते थे. उस वक्त संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट थे. उन्होंने पी एन सिंह की जगह टाटा कारखाना के भीतर जाना शुरू कर दिया. अध्यक्ष की एक्टिंग में आ गए. उस वक्त भी ट्यूब डिवीजन के कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर तबादला किया गया, मगर जमशेदपुर के भीतर ही.
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पी एन सिंह ने प्रबंधन से बात की थी कि ट्यूब के कर्मचारियों का अहित नहीं होना चाहिए. टुन्नू के एक्टिंग अध्यक्ष रहते टाटा स्टील के अलग अलग विभागों में ट्यूब के कर्मचारियों को भेजा गया था. हां, पी एन सिंह का नैतिक प्रभाव इतना जरूर था कि कर्मचारियों का ऐसा अहित नहीं हुआ जो उनका जीवन बहुत प्रभावित हो.

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