- झामुमो के साथियों ने हूल क्रांति की गाथा को किया याद
फतेह लाइव, रिपोर्टर
हूल दिवस के अवसर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जिला कार्यालय गिरिडीह में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष संजय सिंह ने की. श्री सिंह ने कहा कि यह परंपरा 1855 से चली आ रही है, जब दुमका के भोगनाडीह गांव में सिदो, कान्हू और चांद-भैरव के नेतृत्व में संथाल हूल क्रांति शुरू हुई थी. यह आंदोलन शुरू में महाजनों के शोषण के खिलाफ था, लेकिन बाद में ब्रिटिश शासन के क्रूर दमन के खिलाफ क्रांति बन गया. इस विद्रोह में लगभग 20 हजार लोगों ने अपनी जान दी थी. उन्होंने कहा कि हर साल 30 जून को इस वीर सपूतों के बलिदान को याद करते हुए हूल दिवस मनाया जाता है, जो झारखंड के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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संथाल हूल के बलिदान को याद कर झामुमो ने जताई श्रद्धांजलि
कार्यक्रम में झामुमो की नेत्री प्रमिला मेहरा, राकेश सिंह रॉकी, मो. जाकिर, कृष्ण मुरारी शर्मा, अभय सिंह, राकेश रंजन, मो. तूफ़ान, राकेश कुमार सिंह (टुन्ना), मो. डब्लू, वृजमोहन तुरी, आनंद मिश्रा, राहुल कुमार, शिवम् आज़ाद, मो. महबूब, अनूप सिंह, अनवर अंसारी, रामदेव वर्मा, मो. नूरुल, मो. नसीम, अनुभव सिंह, लेखो मंडल सहित अन्य साथी उपस्थित थे. सभी ने मिलकर संथाल हूल के महान योद्धाओं को श्रद्धांजलि दी और उनके बलिदान को याद किया.