फतेह लाइव, रिपोर्टर

पोटका क्षेत्र के पावरु में आदिवासी भूमिज समाज के लोगों में तब हड़कंप मच गया जब शुक्रवार को सीओ निकिता बाला के निर्देश पर तितलिंग पहाड़ी के सरकारी रास्ते के सीमांकन को लेकर बुलडोजर चलाया गया. इस कार्रवाई के दौरान, आदिवासी समुदाय के लोग जो इसे मसना स्थल मानते थे, उनका कहना था कि यहां पर विभिन्न समुदायों के दूध मुंहें बच्चों की मृत्यु के बाद उनका दफनाने की परंपरा है. इससे पहले उन्होंने प्रशासन को लिखित शिकायत दी थी कि यह उनका मसना स्थल है और इस स्थान पर किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं बर्दाश्त की जाएगी. बावजूद इसके, प्रशासन ने भारी पुलिस बल की तैनाती के साथ बुलडोजर चलाया, जिससे आदिवासी समुदाय में भारी नाराजगी देखने को मिली.

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आदिवासी भूमिज समाज के नेता सिद्धेश्वर सरदार, अध्यक्ष जयपाल सिंह और अन्य स्थानीय लोगों ने इस घटना की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह सरकारी रास्ता नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ स्थल है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम तितलिंग पहाड़ी से पत्थर लाकर व्यवसायीकरण के उद्देश्य से उठाया गया है. उनका कहना था कि इस इलाके में स्थित मसना स्थल को छेड़ने से समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. इसके बाद उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर प्रशासन ने अपने कदम वापस नहीं लिए तो वे उग्र आंदोलन करेंगे और ग्राम सभा के स्तर पर इस मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा.

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प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आदिवासी भूमिज समाज के सलाहकारों और अध्यक्षों ने यह चेतावनी दी कि यदि किसी भी हाल में मसना स्थल के साथ छेड़छाड़ की गई तो वे शांत नहीं बैठेंगे और आंदोलन का रुख और तेज किया जाएगा. आदिवासी समाज के सभी सदस्य अब इस मुद्दे पर ग्राम सभा की बैठक में निर्णय लेंगे. इस बैठक में उपस्थित प्रमुख लोग आलो मनी सरदार, गुरुवार सरदार, चेमी सरदार, सुखदा सरदार और अन्य आदिवासी नेता शामिल थे.

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