- केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता
फतेह लाइव, रिपोर्टर
बंगाल में वक्फ कानून के विरोध की आड़ में फैलती हिंसा और बढ़ते असामाजिक तत्वों के हौसले ने राज्य की स्थिति को बेहद चिंताजनक बना दिया है. मुर्शिदाबाद से शुरू हुई हिंसा अब बंगाल के अन्य हिस्सों तक फैल चुकी है, जहां मुस्लिम भीड़ ने वक्फ कानून के विरोध के नाम पर हिंदू समाज पर हिंसक आक्रमण किए. 11 अप्रैल 2025 को हुई हिंसा में हिंदुओं के 200 से अधिक घरों और व्यावसायिक दुकानों को लूटकर जलाया गया, सैकड़ों लोग घायल हुए, और तीन नागरिकों की हत्या कर दी गई. यह हिंसा केवल कानून के विरोध में नहीं, बल्कि एक सुनियोजित योजना के तहत हिंदू समाज को निशाना बनाने के लिए की गई. इस हिंसा के बाद 500 से अधिक हिंदू परिवारों को अपनी जान बचाकर मुर्शिदाबाद से पलायन करना पड़ा.
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बंगाल में हिंदू समाज पर बढ़ते हमले और प्रशासन की निष्क्रियता
राज्य में बढ़ती इस हिंसा और असामाजिक तत्वों के प्रभाव को लेकर स्थानीय जनता में रोष और डर का माहौल है. खासकर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं. बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी उन इमामों के साथ मिलकर दंगा भड़काने का काम कर रही हैं, जो खुलेआम धमकियां दे रहे हैं. इन घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री की चुप्पी और हिंसा फैलाने वाले तत्वों के प्रति समर्थन से स्थिति और भी गंभीर हो गई है. प्रदेश में बढ़ती असुरक्षा के कारण व्यापारी, महिलाएं और आम नागरिक सभी भयभीत हैं. अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार का प्रशासनिक तंत्र केवल निष्क्रिय नहीं है, बल्कि कई बार हिंसक तत्वों के साथ सहयोग भी करता दिख रहा है.
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ममता सरकार पर सवाल, मुस्लिम भीड़ को दिया जा रहा संरक्षण
बंगाल में बढ़ते आतंक और हिंसा के कारण राष्ट्र की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है. बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को यहां अवैध रूप से बसने की खुली छूट दी जा रही है. ये घुसपैठिए न केवल स्थानीय समाज के लिए खतरा हैं, बल्कि पाकिस्तानी और बांग्लादेशी आतंकी संगठनों की गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रहे हैं. प्रशासन की कमजोरियों और घुसपैठियों की बढ़ती संख्या के कारण बंगाल में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में है. इसके साथ ही, हिंदू समाज पर हो रहे हमलों के कारण उनकी धार्मिक स्वतंत्रता भी छिन रही है, और धार्मिक आयोजनों को सुरक्षा प्रदान करने वाले अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि केंद्र सरकार बंगाल की स्थिति को लेकर तुरंत कदम उठाए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए.
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राज्य में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में, घुसपैठियों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत
केंद्र सरकार से अब जनता की यह मांग है कि बंगाल में हिंसा की जाँच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा करवाई जाए, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके और राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल हो सके. इसके अलावा, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें राज्य से बाहर निकाला जाए. बंगाल और बांग्लादेश की 450 किलोमीटर लंबी सीमा पर तारबंदी का कार्य तत्काल शुरू किया जाए, जिससे घुसपैठ पर अंकुश लगाया जा सके. इस हिंसा के खिलाफ जमशेदपुर में हिंदू संगठन, भाजपा और अन्य सामाजिक संगठनों ने मिलकर राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन देने के लिए एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया. इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेताओं ने भाग लिया, और केंद्र सरकार से बंगाल की स्थिति पर तत्काल कार्रवाई की अपील की.