- शॉल, मोमेंटो और लिफाफा की चाह से संपादकीय कर्मी बेदम, चौक-चौराहों पर उतार रहे भड़ास
- ‘एक्सटेंशन’ पर चल रहा प्रभात खबर का पूरा सिस्टम, समझ नहीं आ रहा जायें तो कहां जायें
फतेह लाइव रिपोर्टर
जमशेदपुर प्रभात खबर में शहर वाले भैया जी संपादकीय प्रभारी बनकर आने के बाद संपादकीय कर्मियों की प्रताड़ना का जो दौर शुरू हुआ वह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. तनाव में लोग अखबार छोड़कर जा रहे. पांच के जाने के बाद तीन और लाइन में हैं. जमशेदपुर प्रभात खबर में अब नया ट्रेंड शुरू हो गया है. संपादकीय कर्मियों का तनाव यह है कि किसी भी कार्यक्रम में उनके पहंचने से पहले ही भैया जी पहुंच जाते हैं. शहर के चौक -चौराहों पर यह चर्चा आम हो गयी है कि जमशेदपुर प्रभात खबर में अगर समाचार को अच्छे से छपवाना है तो पहले भैया जी का सम्मान कराना होगा.
भैया जी की शॉल, मोमेंटो और लिफाफा की इस चाह से प्रताड़ित संपादकीय कर्मी चौक-चौराहों पर जमकर प्रबंधन के खिलाफ भड़ास निकाल रहे. कहा जा रहा है कि जब ऊपर से नीचे तक सिस्टम की ‘एक्सटेंशन’ पर चल रहा हो, प्रमुख संपादक धृतराष्ट्र की भूमिका में आ जाये तो वह अपनी शिकायत किससे करें, उनकी प्रताड़ना की कौन सुनेगा? चर्चा तो यहां तक है कि भैया जी हर दिन किसी ने किसी कार्यक्रम में पहुंच जा रहे हैं. वैसे तो ऐसे सम्मान करवाना कंपनी के कंपनी के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन बताया जाता है लेकिन अब अंचल में काम कर रहे संपादकीय कर्मियों की मानसिक पीड़ा भी बढ़ने लगी है क्योंकि भैया जी वहां भी सम्मान लेने पहुंच जा रहे हैं.
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शहर में बड़े आयोजन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि 200 से अधिक लोगों की मौजूदगी वाले उनके कार्यक्रम की खबर प्रभात खबर में ऐसी प्रकाशित होती है कि उन्हें बामुश्किल खोजना पड़ता है जबकि एक भाजपा नेता व खास लोगों की सामान्य खबर भी अखबार के प्रमुख पन्ने पर प्रमुखता से प्रकाशित करता है जबकि उसके दौरे व कार्यक्रम में 20 लोग भी शामिल नहीं होते. जिन कार्यक्रमों में भैया जी जाते है उन्हें ही बेहतर कवरेज दिया जाता है. जब संपादकीय कर्मियों से पूछा गया तो बताया कि यहां सब कुछ प्रभारी के दिशा-निर्देश पर होता है इसमें हम लोग क्या कर सकते हैं. कालिया चौक पर चर्चा करने वाले प्रभात खबर के संपादकीय कर्मियों का दर्द है कि भैया जी के आने के बाद से अखबार पोस्टर बनकर रह गया है.
मजे की बात यह है कि फतेह लाइव में पत्रकारों की पीड़ा की खबर प्रकाशित होने के बाद रांची, देवघर से समेत कई स्थानों से पत्रकारों ने फोन कर भैया जी के खिलाफ भड़ास निकाली और बताया कि इनके कार्यकाल में मानसिक प्रताड़ना के कारण ही रांची और देवघर से भी कई लोगों को अखबार छोड़ना पड़ा था. इन्हें झारखंड की राजधानी जैसे स्थान से सिर्फ इसलिए हटाकर जमशेदपुर भेजा गया था. इनको हटाये जाने के बाद रांची आये पुराने संपादक ने संगठन के हित को देखते हुए अखबार छोड़कर जाने वाले पत्रकारों की फिर से ज्वाइनिंग करायी. संपादकीय के लोगों के बीच ये चर्चा है कि प्रभात खबर के मालिक और एक सांसद की निकटता के कारण ही प्रबंधन इनकी मनमानी पर मौन है !
पहले दिन पहले पन्ने पर छपती है खबर, मुलाकात होते ही अखबार मौन
जमशेदपुर में भैया जी के प्रभारी बनकर आने के बाद से ही एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है. पहले दिन पहले पन्ने पर भ्रष्टाचार से जुड़ी एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित करायी जाती है इसके बाद दूसरे दिन ही अखबार उस मुद्दे पर अचानक मौन साध लेता है. लोग ही नहीं पूरा पत्रकार जगह इसके अलग-अलग निहितार्थ निकाल रहे हैं. साकची गुरुद्वारा के पास बनी एक बिल्डिंग की खबर हो या फिर सोनारी ब्रिज के पास नदी किनारे बने अपार्टमेंट से जुड़ी खबर. ऐसे कई मामलों में किसी निर्माण को लेकर जिन लोगों को कुछ दिनों पहले ही अखबार ने सवालों के घेरे में खड़ा किया था, अब उन्हीं की खबरें पूरी प्रमुखता से प्रकाशित की जा रही है. यह बात प्रबंधन तक भी गयी लेकिन वहीं ”बेचारे धृतराष्ट्र”! रिपोर्टरों का कहना है कि तो मात्र उदाहरण है कि अगर एक साल के पन्ने पलट लिये जाये तो कुछ बताने और समझाने की जरूरत ही नहीं रह जायेगी.
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