- हजरत इमाम कासिम अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में सजी चादरपोशी, नजर-ओ-नियाज और गुलपोशी
- कर्बला की जंग की याद में श्रद्धालुओं ने दी हाजिरी, बताया इसे इंसाफ की जंग
- मैनेजिंग कमेटी की सक्रियता से सफल रहा आयोजन, हर जिम्मेदारी निभाई मुस्तैदी से
फतेह लाइव, रिपोर्टर
मोहर्रम की सातवीं तारीख को लेकर बरवाडीह कर्बला मैदान में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला. हर साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु चादरपोशी, गुलपोशी और नजर-ओ-नियाज करने पहुंचे. बारिश की संभावना को देखते हुए मैनेजिंग कमेटी द्वारा बेहतर पंडाल और शामियाना की व्यवस्था की गई थी. इस दिन की ऐतिहासिक अहमियत को याद करते हुए श्रद्धालुओं ने हजरत इमाम कासिम अलैहिस्सलाम की शहादत और अन्याय के खिलाफ हक की लड़ाई को श्रद्धापूर्वक याद किया.
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इतिहास के अनुसार, मोहर्रम की सातवीं तारीख 680 ई. को इराक के कर्बला मैदान में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों पर पानी बंद कर दिया गया था. आज ही के दिन हजरत इमाम कासिम की शहादत हुई थी. यजीद की अत्याचारी हुकूमत के खिलाफ इमाम हुसैन ने डटकर मुकाबला किया और 72 साथियों की कुर्बानी के बाद जीत हक की हुई. इसी की याद में श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आस्थापूर्वक उपस्थित होते हैं.
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इस अवसर पर मैनेजिंग कमेटी के मोहम्मद अब्दुल्ला अजीमी, सरपरस्त आबिद हुसैन, व अन्य सदस्यों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सभी श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखा. कमेटी के पदाधिकारियों में गांधी मोहम्मद सेरु, मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद मोइन आजाद, मास्टर मोहम्मद अख्तर, मोहम्मद सरफुद्दीन, मंसूर वारसी समेत कई सदस्य सक्रिय भूमिका में नजर आए. आयोजन को सफल और शांतिपूर्ण बनाने में सभी की भूमिका अहम रही.