फतेह लाइव, रिपोर्टर.
कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने कहा कि मात्र वेशभूषा से सिख को परिभाषित करना भूल होगी। सिख वही है जिसमें सिखी का किरदार है, अर्थात जिसमें नम्रता, सेवा, सिमरन, दया, प्रेम, सहिष्णुता, विराग, त्याग जैसे जीवन मूल्य हो। कुलबिंदर सिंह ने इसे दुर्भाग्य जनक बताया कि गुरुद्वारों की प्रधानगी, चौधराहट की राजनीति ने आपसी सद्भाव प्रेम को तोड़ दिया है और हम ईर्ष्या द्वेष का जीवन जी रहे हैं। एक दूसरे को नीचा दिखा रहे हैं।
कुलबिंदर सिंह ने कहा कि जहां पूरा सिख समुदाय गुरु तेग बहादुर जी एवं उनके तीन शिष्य भाई सती दास भाई मती दास एवं भाई दयाला जी की शहादत का 350 वां साल मना रहा है, यहां शहीदी जागृति यात्रा के नाम पर चौधराहट दिखाई जा रही है। गुरु तेग बहादुर त्याग, सेवा, समर्पण, नम्रता के प्रतीक हैं और यहां उनसे उलट हमारा किरदार है। कोई एक दूसरे के विचारों का आदर करने को तैयार नहीं है बस यही चाहते हैं कि सामने वाला उसकी अधीनता को स्वीकार कर ले, लेकिन गुरु का सच्चा सिख इसे कैसे स्वीकार कर सकता है?
खुद गलत ढंग से प्रधान बने बैठे हैं और दूसरों पर उंगली उठा रहे हैं और सच्चाई को स्वीकार भी नहीं करते हैं। जबकि यह शहीदी जागृति यात्रा आपसी सद्भावना प्रेम को बढ़ाने का एक अच्छा अवसर है। गुरु तेग बहादुर जी ने गुरु घर के दुश्मन औरंगज़ेब और असम के अहोम राजवंश के बीच प्रभाव का इस्तेमाल कर मित्रता करवा दी थी और यहां एक वाहेगुरु निरंकार को मानने वाले एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं।