फतेह लाइव, रिपोर्टर.
संथाल आदिवासियों के लिए फाल्गुन महिना खास हैं. इस महीने बाहा बोंगा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. शहर से सटे आदिवासी बहुल इलाकों में इस बार बाहा महोत्सव की शुरुआत फाल्गुन माह के पांचवें दिन यानी 15 मार्च से शुरू होगी और पूर्णिमा तक चलेगी. पहले दिन उम नाड़का से इस महोत्सव की शुरुआत होती है. दूसरे दिन बाहा बोंगा और तीसरे दिन बाहा सेंदरा के रूप में मनाया जाता है.
अलग अलग इलाकों व गांव के लोग अपनी सुविधानुसार बाहा बोंगा की तिथि घोषित करते हैं. सारजमदा निदिरटोला के नायके बाबा यानि पुजारी पलटन हेम्ब्रम ने कहा कि इस पर्व में महिला एवं पुरुष पारंपरिक परिधान में जाहेरथान आकर माथा टेकते हैं और मारांग बुरु जाहेर आयो का आशीर्वाद लेते हैं. फिर प्रसाद के रूप में खिचड़ी (सोड़े) का ग्रहण किया जाता है. पुरुष साल के फूलों को कानों पर लगाते हैं और महिलाएं इस फूल को अपनी जुड़ों पर सजाती हैं. बाहा सेंदरा के साथ साथ एक दूसरे पर सादे पानी डालकर होली खेली जाती है. रंगों की होली आदिवासी समाज में पूर्णतः वर्जित है.
सारजमदा के राजेश मार्डी ने बताया कि विश्व में संथाल समुदाय के बोंगाओं में सबसे पवित्र बाहा बोंगा को माना जाता है. यह बोंगा महोत्सव भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार, भूटान तथा अमेरिका में भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आदिवासी बहुल इलाकों में अभी से रौनक दिखने लगी है. लोग अपने स्तर से तैयारी में जुट गए है.
कब कहाँ होगा बोंगा पर्व
15 मार्च – बाड़ेगोड़ा, केड़ो, देवघर, पोंडेहासा, तालसा, रानीडीह, काचा, गोविंदपुर
16 मार्च – सारजमदा, खुखड़ाडीह, बागबेड़ा
17 मार्च – जानेगोड़ा, राहरगोड़ा, बालीडुंगरी, बिरसानगर, सिदगोड़ा, उलीडीह
20 मार्च – सारजमदा (सोझेटोला) पुराना बस्ती
23 मार्च – कदमा, बर्मामाइंस, टायो गम्हरिया
24 मार्च – करनडीह, तिलकागढ़, हलुदबनी, डोमजुड़ी, राजदोहा, करनडीह (दिशोम बाहा) सुरदा क्रासिंग (दिशोम बाहा)