कुलविंदर सिंह की कलम से.

आर के. मिश्रा (भारतीय पुलिस सेवा) लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहे हैं और अपनी सख्त कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. जन सुराज से जुड़ने के बाद उन्होंने कहा था कि वे बिहार की राजनीति में ईमानदारी और विकास की नई दिशा लाना चाहते हैं. जन सुराज पार्टी की और से दरभंगा सदर सीट से विधान सभा चुनाव लड़ेंगे.

वह जमशेदपुर के एसपी रह चुके हैं. यहां के बिल्डर हरि सावा हत्याकांड का सफल उद्वेदन कर बड़े लोगों को जेल भेजा था. इस हत्याकांड की बड़ी चर्चा हुई थी, क्योंकि उसे दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का चुनावी कार्यक्रम भी जमशेदपुर में था.

मैं उनकी जीत की कामना करता हूं. बनगांव निवासी आरके मिश्रा की कार्यशैली का मैं कायल रहा हूं. सांप्रदायिकता अथवा जातिगत विद्वेष कभी भी उनके स्वभाव या कार्य में मैंने नहीं देखा.

मुझे याद आता है कि बर्मामाइंस थाना क्षेत्र कैरिज कॉलोनी मुस्लिम मोहल्ला के सामने कुछ लोगों ने रामनवमी के समय में बजरंगी पताका ध्वज लगा दिया था और तनाव की स्थिति थी.

नीधि खरे (भारतीय प्रशासनिक सेवा) उपायुक्त एवं वंदना ददेल (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम थी. यह दोनों कड़क पदाधिकारी मानी जाती हैं और वहां लगातार रहती थी. उनके कारण डीएसपी स्तर के पदाधिकारी भी वहां रहने को मजबूर थे.

अखबार के रिपोर्टरों खासकर मुझ जैसे क्राइम रिपोर्टर को डेली रिपोर्ट लिखना पड़ रहा था. रात तकरीबन 8:00 बजे रूटीन की तरह दैनिक हिंदुस्तान की ओर से घटनास्थल पर था. एसपी आरके मिश्रा आए और उन्होंने उदितवाणी के क्राइम रिपोर्टर रामकंडेय मिश्रा के साथ एक किनारे गुफ्तगू की. हम कुछ अंदाज़ लागत और उसे और बढ़ते इसके पहले देखा कि वह तेजी से मुड़े, बजरंगी पताका निशान के आगे जाकर दोनों हाथ जोड़े और प्रभु श्री राम भक्त हनुमान की प्रार्थना की और फिर देखते देखते 30 फुट लंबे बांस को जमीन से निकालने का प्रयास करने लगे.

जब पुलिस कप्तान को ऐसा करते देखा तो थाना प्रभारी अंगरक्षक एवं पुलिस टीम आगे बढ़ी और संयुक्त रूप से उन्होंने बजरंगी झंडा को उखाड़ लिया और फिर बड़े ही श्रद्धा के साथ पुलिस जीप के छत पर रखा और फिर उसका विसर्जन विधि पूर्वक स्वर्णरेखा घाट साकची में कर दिया.

सांप्रदायिकता का बीज बोने, तनाव पैदा करने या आगे का गंदा खेल देखने वाले असामाजिक तत्वों की मंशा पर उन्होंने पानी फेर दिया. जब खुद जिला कप्तान इस तरह से आगे बढ़ेगा तो फिर वहां नेतागिरी करने की गुंजाइश ही खत्म हो गई और इलाके में शांति कायम हो गई.

तीन दशकों से अधिक की सेवा के साथ पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी. सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक के साथ आईआईटी बीएचयू वाराणसी के पूर्व छात्र, वे नक्सलवाद और संगठित अपराध से निपटने में अपने नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध हैं. मिश्रा ने होमगार्ड्स, नागरिक सुरक्षा और अग्निशमन सेवाओं के महानिदेशक (डीजी) और आईटीबीपी और सीआईएसएफ में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) सहित प्रमुख पदों पर कार्य किया है. सीआरपीएफ में उनके रणनीतिक नेतृत्व ने, विशेष रूप से झारखंड और त्रिपुरा क्षेत्रों में, आंतरिक सुरक्षा प्रयासों को काफी मजबूत किया.

कानून प्रवर्तन में अपने अभिनव दृष्टिकोण के लिए पहचाने जाने वाले मिश्रा ने बिहार में पुलिस आधुनिकीकरण में भी योगदान दिया है. उनकी उत्कृष्ट सेवा ने उन्हें राष्ट्रपति के पुलिस पदक सहित कई प्रशंसाएँ दिलाई हैं. पुलिसिंग से परे, वे शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, आरके मिशन स्कूल के संचालन में योगदान देते हैं.

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version