• पर्यावरण संरक्षण के लिए पिता की स्मृति में विकसित हुआ आदर्श वन

फतेह लाइव, रिपोर्टर

पर्यावरण प्रेमी नागेश्वर महतो ने अपने पिता की स्मृति में एक अनूठा स्मृति वन विकसित किया है, जो पर्यावरण सुरक्षा का एक आदर्श उदाहरण बन चुका है. इस वन में सैकड़ों फलदार और औषधीय पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जो न केवल शुद्ध हवा और छाया प्रदान करते हैं, बल्कि प्राकृतिक औषधियों के रूप में भी काम आ रहे हैं. 2007 से शुरू हुआ यह जयनंदन स्मृति वन पैतृक गांव कसमार के तेतरटांड टोला में है, जहां हर राष्ट्रीय पर्व और स्मृति दिवस पर पौधारोपण किया जाता है. यह प्रयास पारंपरिक जड़ी-बूटी चिकित्सा को पुनः स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है. वन के संरक्षण के लिए सिंदवार और पुटुस से बनी बाड़ लगाकर इसे जानवरों से सुरक्षित रखा गया है.

इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : नमन परिवार के प्रतिनिधिमंडल ने एसएसपी पीयूष पांडेय से की शिष्टाचार मुलाकात, दी सफल कार्यकाल की शुभकामनाएं

पर्यावरण संरक्षण में स्थानीय स्तर पर हुए अनोखे प्रयास

इस स्मृति वन में गिलोय, कालमेघ, चिरायता, अपामार्ग, धतूरा जैसे कई औषधीय पौधे लगे हैं, जो रोगियों के उपचार में सहायक हैं. इसके अलावा आम, जामुन, कटहल, महुआ, काजू, महोगनी, सागवान, शीशम, नीम, गढ़नीम जैसे फलदार और छायादार पेड़ भी वन को हराभरा और जीवंत बनाए हुए हैं. यहां योगाभ्यास, मॉर्निंग वाक, किसान प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जो लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं. पर्यावरण प्रेमी नागेश्वर महतो का कहना है कि यह वन आज के कृत्रिम परिवेश में जड़ी-बूटी और आयुर्वेद को पुनर्जीवित कर रहा है और लोगों में स्वास्थ्य व पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा रहा है.

इसे भी पढ़ें : Bokaro : तेनुघाट में मोटरसाइकिल और साइकिल की टक्कर, एक व्यक्ति की मौत, तीन घायल

जन्मदिन पर आम बागवानी से पर्यावरण संरक्षण का संदेश

पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी को जोड़ते हुए नागेश्वर महतो ने 2017 में अपने जन्मदिन पर स्मृति वन के निकट एक अलग प्लॉट में आम बागवानी भी शुरू की. इसमें आम, अमरुद, बेल, लीची, संतरा, सेव, शरीफा, शहतूत, आँवला, चीकू, नारियल जैसे जहर मुक्त प्राकृतिक खाद से उगाए गए पौधे हैं. साथ ही पपीता, नेपियर घास जैसी फसलों की खेती भी होती है, जो वन की जैव विविधता को बढ़ाती हैं. यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि जन्मदिन मनाने के पारंपरिक और आधुनिक तरीकों से अलग एक सकारात्मक उदाहरण भी प्रस्तुत करती है.

इसे भी पढ़ें : Bokaro : समृद्धि और विकास की कामना के साथ बाबूलाल मरांडी ने प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में की पूजा-अर्चना

प्राकृतिक खेती और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

पौधे लगाना एक धार्मिक पुण्य का कार्य माना जाता है, जो पृथ्वी माता को एक उपहार स्वरूप दिया जाता है. नागेश्वर महतो का यह प्रयास न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा रहा है, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक मूल्यों को भी जीवंत रख रहा है. उन्होंने अब तक कई साथियों को भी प्रेरित किया है कि वे अपने-अपने जमीनों पर पौधे लगाएं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें. जयनंदन स्मृति वन न केवल एक हरित क्षेत्र है, बल्कि यह एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे श्रद्धा, पर्यावरण प्रेम और स्वास्थ्य जागरूकता को एक साथ जोड़ा जा सकता है. यह वन आने वाले समय में और भी अधिक फलदायी और पर्यावरण के लिए हितकारी साबित होगा.

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version