ग्रामीण कार्य विभाग के चाईबासा कार्य प्रमंडल में केन्द्र प्रायोजित योजना PMGSY अंतर्गत उजागर हुई अनियमितता
Santosh verma.
झारखंड राज्य पश्चिमी सिंहभूम जिला में ग्रामीण कार्य विभाग के चाईबासा कार्य प्रमंडल में केन्द्र प्रायोजित योजना PMGSY अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में नक्सली सांठगांठ से सड़क निर्माण कार्य में करोड़ों राशि की फर्जी विपत्र पारित कर भुगतान का मामला उजागर होने से अभियंता और संवेदक में हड़कंप मचा हुआ है. टोंटी प्रखंड के चर्चित अभियंता अभिलेष कुमार के द्वारा विगत तीन वर्षो में अब तक सड़क निर्माण कार्य में बनाए गए विपत्र जांच के घेरे में है. संवेदक के साथ और नक्सली से ताल मेल कर जंगल क्षेत्र में मंगल मनाने का खेल हुआ है.
भारत सरकार और राज्यपाल से हुई है शिकायत
अभिलेष कुमार द्वारा कम समय में करोड़ों सम्पत्ति अर्जित किए जाने की सूचना है. इस संबंध में भारत सरकार को और राज्यपाल को शिकायत दर्ज कराई गई है. कनीय अभियंता अभिलेष के द्वारा किए गए घोटाला को दबाने के लिए प्रमंडल के एक संवेदक विभाग के पदाधिकारी को सेट कर मामला को रफा दफा करने के चक्कर में हैं. सूत्रों की माने तो विभागीय मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल से प्रमंडल में ही बने रहने देने के लिए पैरवी कर रहे हैं. इमिल कांडूलना के कार्यकाल में सबसे ज्यादा विकास राशि का बंदर बांट हुआ है.
10 करोड़ का घोटाला होने की संभावना
सूत्रों की माने तो विगत तीन वर्षो में अन्य प्रखंडों में भी फर्जी विपत्र बना कर भुगतान किया गया है. सूत्रो की माने तो लगभग दस करोड़ की राशि का घोटाला चाईबासा प्रमंडल में हुआ है. प्रमंडल को बहुत जल्द केंद्रीय एजेंसी के सामना करना पड़ेगा. अभिलेश की सम्पत्ति की जांच होने की चर्चा से अन्य अभियंता की नींद हराम हो चुकी है. ग्रामीण कार्य प्रमंडल में दस करोड़ की फर्जी विपत्र बना कर भुगतान किए जाने का अनुमान है. अभियंताओं को हवाला के जरिए कमिशन देने की बात सामने आ रही है. अभियंता को कमिशन के रूप में जमीन, फ्लैट, गाड़ी देते हैं संवेदक।संजीव लाल और बिपिन कुमार के नाम लेकर प्रमंडल में माफियागिरी कर रहे हैं. अभिलेश की पहुंच और पैरवी से डिवीजन के अभियंता सकते में हैं.