फतेह लाइव, रिपोर्टर

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है, जिसका समापन 6 अप्रैल को होगा. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित होते हैं. 30 मार्च का दिन रविवार है यानी इस बार नवरात्र रविवार से शुरू हो रहे हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को बहुत शुभ माना गया है. इसके साथ ही नवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिससे भी ये 9 दिन और शुभ हो जाते हैं और खासकर कुछ राशियों के लिए बेहद लाभदायक रहने वाले हैं. नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे शक्ति की पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है. यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है, जिनमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है. चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है, जो हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च 2025 (रविवार) को होगा और इसका समापन 6 अप्रैल 2025 (रविवार) को होगा. इस बार नवरात्रि 9 दिन की बजाय केवल 8 दिन की होगी, क्योंकि तिथियों में परिवर्तन के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं.

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केवल 8 दिनों की है चैत्र नवरात्रि

इस बार नवरात्रि 9 दिन की बजाय केवल 8 दिन की होगी, क्योंकि तिथियों में परिवर्तन के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं. पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण आठ दिनों की नवरात्र होगी। दो अप्रैल दिन बुधवार को चौथी और पंचमी की पूजा होगी. घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 2025  घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना की कुल अवधि 50 मिनट की रहेगी.

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चैत्र नवरात्र पर ऐसे करें कलश स्थापना 

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते समय सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें. एक मिट्टी के बड़े पात्र में मिट्टी डाल दें और इसमें ज्वारे के बीज डालें. उसके बाद सारी मिट्टी और बीज डालकर पात्र में थोड़ा-सा पानी छिड़क दें. अब गंगाजल भरे कलश और ज्वारे के पात्र पर मौली बांध दें. जल में सुपारी,दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी डाल दें. अब कलश के किनारों पर आम के 5 पत्तों को रखें और कलश का ढक्कन से ढक दें. एक नारियल लें और उसपर लाल कपड़ा या चुनरी लपेट दें. नारियल पर मौली बांध दें. इसके बाद कलश और ज्वारे स्थापित करने के लिए सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ कर लें. इसके बाद ज्वारे वाला पात्र रखें। उसके ऊपर कलश स्थापित करें और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें. फिर सभी देवी-देवताओं का आह्मान करने के साथ नवरात्रि की विधिवत पूजा आरंभ करें. कलश स्थापित करने के बाद नौ दिनों तक मंदिर में रखे रहना चाहिए. सुबह-शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें.

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चैत्र नवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 29 मार्च 2025, शाम 4:27 बजे, प्रतिपदा तिथि समाप्त – 30 मार्च 2025, दोपहर 12:49 बजे, उदयातिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि 30 मार्च को मनाई जाएगी. इस चैत्र नवरात्र ये करें, मिलेगा लाभपंडितों के अनुसार माता दुर्गा की आराधना करें और शक्ति साधना करें. व्रत व उपवास रखकर अपनी आस्था को और मजबूत करें. नौ देवियों की पूजा के साथ सूर्यदेव की उपासना भी करें. इस विशेष संयोग में मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने का प्रयास करें. चैत्र नवरात्र का महत्वचैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के इन नौ रूपों की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, सुख और शांति की प्राप्ति होती है. प्रत्येक देवी का अपना विशेष महत्व है और उनकी आराधना से शुभ फल प्राप्त होते हैं. इसलिए नवरात्र के इन नौ दिनों में मां दुर्गा की भक्ति में लीन होकर उनका आशीर्वाद पाएं. ऐसे में इस दौरान माता रानी की पूजा ज्यादा से ज्यादा करें. इसके साथ ही तामसिक चीजों से दूर रहें.

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चैत्र नवरात्र में इन मंत्रों से देवी की होती है पूजा 

– “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।”

– “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।”

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