• विस्थापन व जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आवाज बुलंद
  • विस्थापन विस्थापित संघर्ष मुक्ति मंच ने किसान एवं आदिवासी जमीन के संरक्षण के लिए किया जोरदार प्रदर्शन

फतेह लाइव, रिपोर्टर

सरसाकुडी में बिरसा मुंडा की 125 वीं शहादत दिवस पर विस्थापन विस्थापित संघर्ष मुक्ति मंच द्वारा आयोजित उलगुलान सभा में स्थानीय किसानों और आदिवासियों की जमीन को बचाने का संदेश दिया गया. बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुंदर लाल महतो ने कहा कि बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया था, परंतु आज देश का शासक वर्ग खेतिहर जमीन का जबरन अधिग्रहण कर कृषि को नष्ट कर रहा है. किसान सभा के नेता संतोष कुमार महतो ने बताया कि तासरा रोहड़ाबांध के विस्थापितों को बसाने के लिए कालीपुर, सरसाकुडी और आसनबनी मोज़ा की जमीन जबरन अधिग्रहित की जा रही है, जिससे ग्रामीण गुस्से में हैं और संघर्षरत हैं.

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विस्थापितों के अधिकारों के लिए चल रहा संघर्ष

सीपीएम नेता काली सेन गुप्ता ने कहा कि तासरा विस्थापितों को बसाने के लिए किसी अन्य जगह की जमीन अधिग्रहित करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान जमीन पर किसान खेती करते हैं. उन्होंने खेतिहर जमीन के जबरन अधिग्रहण को अन्याय करार दिया और इस अन्याय के खिलाफ उलगुलान जरूरी बताया. उन्होंने यह भी कहा कि कॉरपोरेट लूट में आदिवासियों की जमीन को छीना जा रहा है, और बिरसा मुंडा के सपनों को साकार करने के लिए इस लूट के खिलाफ आवाज उठानी होगी. सीपीएम के सिंदरी बलियापुर लोकल कमिटी सचिव विकास कुमार ठाकुर ने आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति में बिरसा मुंडा के वंशजों का उल्लेख किया और परपोते मंगल मुंडा की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में भारी खामियां हैं.

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आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में स्वास्थ्य व्यवस्था की विफलता

उलगुलान सभा में शहीद बिरसा मुंडा की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया और शहादत गीत प्रस्तुत किए गए. अध्यक्षता अनिल माझी ने की तथा संचालन अमृत महतो ने संभाला. इस दौरान दिनेश सारखिल, राहुल महतो, गौतम प्रसाद, सूर्य कुमार सिंह, शत्रुघ्न महतो, किशोर कुमार महतो सहित कई ग्रामीण उपस्थित थे. सभा ने जोर देकर कहा कि करोड़ों रुपये की घोषणाओं के बावजूद आदिवासियों के परिवारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है, इसलिए आदिवासी प्राकृतिक संपदा और खेतिहर जमीन को बचाने के लिए पुनः उलगुलान करना आवश्यक है.

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