फतेह लाइव, रिपोर्टर.
छह दिवसीय एआईसीटीई-एटीएएल संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) “मेटल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एंड इंडस्ट्री 4.0” का बीआईटी सिंदरी में सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञ व्याख्यानों, औद्योगिक अनुभव और संवादात्मक शैक्षणिक सत्रों का अनूठा संगम देखने को मिला।
अंतिम दिन, डॉ. विकास उपाध्याय, एसोसिएट प्रोफेसर, एनआईटी पटना, बिहार, जिन्होंने 14 वर्षों का शिक्षण और शोध अनुभव प्राप्त किया है, ने “वायर आर्क एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग: प्रोसेस पैरामीटर्स एंड देयर इम्पैक्ट ऑन स्ट्रक्चर एंड प्रॉपर्टीज” विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में वायर आर्क आधारित प्रक्रियाओं के महत्व पर प्रकाश डाला और समझाया कि किस प्रकार प्रोसेस पैरामीटर्स निर्मित अवयवों की संरचनात्मक मजबूती और यांत्रिक गुणों को प्रभावित करते हैं।
छह दिनों तक चले इस एफडीपी में प्रतिष्ठित संस्थानों और उद्योगों से आए प्रख्यात शिक्षाविदों और पेशेवरों ने विशेषज्ञ व्याख्यान दिए। प्रतिभागियों को औद्योगिक भ्रमण और संवादात्मक चर्चाओं के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में फ्रिक्शन स्टिर एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अनुप्रयोग, प्रोसेस ऑटोमेशन तथा एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में सतत् प्रथाओं जैसे विविध विषय शामिल रहे।
समापन सत्र के दौरान यांत्रिक अभियांत्रिकी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय पांडे की उपस्थिति के साथ-साथ डॉ. घनश्याम, प्रो. मनोज कुमार, डॉ. धनेश्वर महतो, डॉ. दिनेश कुमार, प्रो. प्रभाकर, प्रो. अनीश कुमार, प्रो. बुधराम, प्रो. संजय उराँव, डॉ. सुमित कुमार शर्मा, डॉ. मुकेश चंद्रा और डॉ. सूर्य नारायण पांडा जैसे विशिष्ट प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने अकादमिक चर्चाओं को और अधिक समृद्ध बनाया।
सभा को संबोधित करते हुए प्रो. पंकज राय, निदेशक, बीआईटी सिंदरी ने इंडस्ट्री 4.0 के युग में अकादमिक क्षेत्र और उद्योग के बीच की खाई दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मेटल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग न केवल उत्पाद डिजाइन और विनिर्माण के भविष्य को पुनर्परिभाषित कर रही है, बल्कि यह सतत् और अनुकूलित इंजीनियरिंग समाधानों के नए आयाम भी खोल रही है। उन्होंने संकाय सदस्यों और शोधार्थियों से आधुनिक तकनीकों में अपने कौशल को निरंतर निखारने का आह्वान किया, ताकि वे राष्ट्रीय विकास और नवाचार में प्रभावी योगदान दे सकें।
इस कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. चैतन्य शर्मा और डॉ. ओम प्रकाश, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, बीआईटी सिंदरी द्वारा किया गया। समापन सत्र में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि भारत की इंडस्ट्री 4.0 की परिकल्पना और भविष्य-उन्मुख विनिर्माण तकनीकों को सशक्त बनाने के लिए आधुनिक औद्योगिक प्रथाओं और अकादमिक शोध का समन्वय अत्यंत आवश्यक है।
40 से अधिक प्रतिभागियों, जिनमें संकाय सदस्य, शोधार्थी और उद्योग विशेषज्ञ शामिल थे, की सहभागिता के साथ यह एफडीपी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। प्रतिभागियों को धातु एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्राप्त हुआ।