• रांची में आयोजित आरटीआई वर्कशॉप में झारखंड के विभिन्न जिलों के एक्टिविस्ट हुए शामिल
  • हिमांशु शेखर चौधरी ने आरटीआई के महत्व और चुनौतियों पर प्रकाश डाला

फतेह लाइव, रिपोर्टर

रांची प्रेस क्लब में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के 20 वर्ष पूरे होने पर संयोजक विनोद जैन बेगवानी और रेणुका तिवारी की अध्यक्षता में एक विशेष आरटीआई वर्कशॉप आयोजित की गई. इस कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से आए आरटीआई एक्टिविस्टों ने भाग लिया. मुख्य अतिथि के रूप में भूतपूर्व सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने जानकारी दी कि सूचना का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण एविडेंस कलेक्शन टूल के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हालाँकि झारखंड में पिछले 5 वर्षों से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने के कारण लगभग 25,000 से अधिक द्वितीय अपील और शिकायतें लंबित हैं, जिससे कानून की मूल भावना प्रभावित हो रही है.

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मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों को बाहर रखने का सुझाव

कार्यक्रम में उपस्थित आरटीआई एक्टिविस्टों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति तुरंत होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस पद पर भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो, क्योंकि उनके अधीनस्थ लोग जन सूचना पदाधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, जिससे सूचना का स्वतंत्र प्रवाह बाधित हो रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे लोगों को नियुक्त किया जाना चाहिए जिनके पास विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, पत्रकारिता, एवं जनसंपर्क का व्यापक अनुभव हो.

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सूचना आयोग में पारदर्शिता के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति आवश्यक

मुख्य अतिथि हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा कि आरटीआई के अधिकार को समझने के लिए सबसे पहले हमें अपने अधिकारों को जानना होगा और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गाथा को भी समझना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि आरटीआई के दुरुपयोग की भी संभावना है, परंतु इसका सही उपयोग सामाजिक बदलाव के लिए अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने बताया कि अधिकांश आरटीआई आवेदन व्यक्तिगत मामलों से जुड़े होते हैं, जबकि सामाजिक सरोकारों के मामले कम होते हैं. अतः आवश्यक है कि इस कानून को व्यापक जन आंदोलन के रूप में विकसित किया जाए और युवाओं को आरटीआई के प्रशिक्षण से लैस किया जाए ताकि यह अधिकार आम जनता तक पहुंच सके.

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झारखंड के 19 जिलों से आए प्रतिनिधियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दी

इस वर्कशॉप में झारखंड के 19 जिलों से कुल मिलाकर सैकड़ों आरटीआई एक्टिविस्ट शामिल हुए. दुमका, गढ़वा, रामगढ़, चतरा, पाकुड़, लोहरदगा, गिरिडीह, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर, खूंटी, धनबाद, लातेहार, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम सहित अन्य जिलों से आए प्रतिनिधियों ने कानून के क्रियान्वयन, चुनौतियों और सुधार के उपायों पर विचार-विमर्श किया. मंच संचालन और धन्यवाद ज्ञापन रेणुका तिवारी ने किया.

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झारखंड में आरटीआई एक्टिविस्टों की बढ़ती भूमिका

आरटीआई एक्टिविस्टों ने इस कानून के तहत पारदर्शिता बढ़ाने, प्रशासनिक जवाबदेहिता सुनिश्चित करने तथा आम जनता को सरकारी योजनाओं एवं नीतियों की बेहतर जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को ज्ञापन देकर सूचना आयुक्तों की तत्काल नियुक्ति और सिस्टम को प्रभावी बनाने की मांग की. यह कार्यभार प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार को कम करने एवं नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है.

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