फतेह लाइव, रिपोर्टर.
रेल मंत्रालय इन दिनों भारतीय रेल के विकास की ओर अग्रसर है. रेलवे स्टेशन को विकसित करने में करोड़ों करोड़ों खर्च कर रहा है. रेल की अतिक्रमित जमीन में विकास की गंगा बहाने की तैयारी में है, लेकिन इससे इतर टाटानगर रेलवे स्टेशन के आस पास अतिक्रमण को बढ़ावा दिया जा रहा है. सीकेपी मंडल और स्थानीय रेल प्रशासन के रवैये के कारण रेल मंत्रालय की भावी अमृत भारत स्टेशन योजना पर धब्बा लगाया जा रहा है, जो कि अत्यंत चिंतनीय के साथ जांच का विषय है. जी हां, हम बात कर रहे हैं टाटानगर स्टेशन के बाहर चाईबासा बस स्टैंड की. जहां स्थानीय अधिकारियों की शह पर अतिक्रमण धड़ल्ले से बड़ रहा है. आश्चर्य की बात तो यह है कि यहाँ हर दूसरे तीसरे दिन जोनल और मंडल के अधिकारी का आना जाना लगा रहता है, लेकिन उनकी आंखों में भी स्थानीय अधिकारी या तो धूल झोंक देते हैं या यह कहा जा सकता है कि वे भी इस मामले में अंजान नहीं है.
सबसे बड़ी बात यह है कि चाईबासा बस स्टैंड से सटकर ही आरपीएफ और आरपीएसएफ का शास्त्रगार है. इसमें कई आधुनिक हथियार, गोला बारूद पड़े हुए हैं. इस अतिक्रमण के कारण इस शास्त्रगार की सुरक्षा में चूक का कारण बन सकती है. क्यूंकि अतिक्रमण के कारण हर किस्म के शातिर अपराधियों का यहाँ जमावड़ा चौबीस घंटे लगा रहता है. यदि कोई अप्रीय घटना घट जाती है तो स्थानीय अधिकारियों को जवाब देते नहीं बनेगा और टाटानगर स्टेशन का नाम भारतीय रेल में बदनाम होगा, जिससे भारतीय रेल को अच्छा खासा राजस्व जाता है. बता दें कि इस शास्त्रगार के कारण पूर्व में आरपीएक और भारत की गुप्तचर एजेंसियां भी जोनल तक पत्राचार कर चुकी थी, जिसके बाद यहाँ से अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन कुछ समय बाद स्थानीय अधिकारियों ने निजी लाभ के लिए फिर शास्त्रगार की सुरक्षा को चूक में डाल दिया है.
अतिक्रमण से जाम रहता है आउट गेट, यात्रियों को होती है परेशानी
रेल को राजस्व देने वाले टाटानगर स्टेशन के बाहर फल फूल रहे अतिक्रमण से यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में रहती है. यहाँ लगने वाले जाम से तो वह हर रोज परेशानी का सामना करते ही हैं, लेकिन असामाजिक तत्वों के जमावड़े, पनप रहे नशे का कारोबार से यात्रियों से भी लूट, छिनतई और मारपीट की घटना आये दिन होती रहती है. इस पुरी वास्तुस्थिति से आरपीएफ की एजेंसियां जोनल मुख्यालय को कई बार हाल के दिनों में पत्राचार कर चुकी है, लेकिन उसके बाद भी वरीय अधिकारी इस गंभीर मसले पर चूप बैठे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह किसी घटना का इंतजार कर रहे हैं या फिर इस अतिक्रमण से होने वाले फायदे को लेकर वह जानबूझकर आंख बंद किये हुए हैं?
ऑन कैब के पार्किंग की भी सूरत बिगाड़ी
चाईबासा बस स्टैंड के पास ही रेलवे ने राजस्व प्राप्ति के साथ साथ यात्रियों की सुविधा के लिए महानगरों की तर्ज पर ऑन कैब की सुविधा शुरु की थी. इसके लिए ठेकेदार को इसी उदेश्य से ही अतिक्रमण हटाकर शेड दिया गया था, ताकि अतिक्रमण पर लगाम लगाई जा सके, लेकिन उसके इतर ठेकेदार ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से शेड में ही दुकाने खुलवा दी हैं. दुकानो में बड़े बड़े डिप फ्रिज चलाये जा रहे हैं. खुलेआम नशे की समग्री पान, सिगरेट बेचे जा रहे हैं. अब यह सुविधा भी अंधकार में जा रही है, जिसकी वरीय अधिकारियों को चिंता नहीं है और यात्रियों के साथ साथ शास्त्रगार कि सुरक्षा सवालों के घेरे में आने लगी है.
इन गेट में भी होने लगा अतिक्रमण
रेल मंत्रालय से सख्त आदेश है कि स्टेशन प्रवेश द्वार को अतिक्रमण मुक्त रखना है, लेकिन टाटानगर स्टेशन में रेल मंत्रालय को मुंह चिढ़ाते हुए स्थानीय अधिकारी तेजी से अतिक्रमण कराने में लगे हुए है. यह सीधे तोर पर इसलिए कहा जा सकता है कि इन गेट के पास धड़ल्ले से दुकाने संचालित हो रही है. रात में रेंगने वाले भारी वाहनों के नीचे कभी भी इस अतिक्रमण के कारण यात्री आ सकता है, जिसकी जवाबदेही रेल प्रशासन की ही होगी.