मैं पत्रकारों के साथ हूं आप आईना दिखाईये हम कार्रवाई करेंगे,यही तो पुलिसिंग है- अनुराग गुप्ता

चरणजीत सिंह.

झारखंड के पुलिस विभाग के मुखिया (DGP) डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अनुराग गुप्ता से मंगलवार को भेंट हुई. एक पत्रकार होने के नाते जमशेदपुर, धनबाद ख़ासकर कोल्हान में पत्रकारिता का काम किया था. तब कई आईपीएस, आईएएस, रेलवे सर्विस के कई अधिकारियों से भेंट होती थी. लेकिन आज राज्य के पुलिस मुख्यालय में एक फरियादी के रूप में पहुंचा था. शाम साढ़े चार बजे से प्रतीक्षा करते हुए 5.35 बज गए. फिर एक साथ सभी फरियादियों को चैम्बर में बुलाकर साहब ने अपने सामने कुर्सी में बैठाया.

एक-एक कर उनके कर्मी सभी को नाम लेकर पुकारते रहे. डीजीपी साहब ने जिस लिहाज में सबको सुना और उनकी फरियाद पर कार्य किया, वह काबिले तारीफ था. पत्रकारिता के अनुभव अनुसार पुलिस विभाग की ही अभी बात होगी. राज्य के थाने लाखों लाखों में नए बने, जो अब जर्जर होने के कगार पर हैं. उसमें एक मित्र थाना बना. न जानें कितनी प्रकार की व्यवस्था थाने में जनता और पुलिस के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए बनाई गई, लेकिन जो डीजीपी के यहां पालन देखा गया. 20 सालों की पत्रकारिता करने वाला यह शख्स मुरीद हो गया. दिल से एक बात निकली, काश डीजीपी साहब के जैसे हर थाने में फरियाद सुनी जाती?

खैर इस मुलाकत में तीन मामले उनके पास आये. डीजीपी अनुराग गुप्ता ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कभी एसटीएफ में इंद्रजीत महथा, तो कभी सीआईडी प्रमुख को फोन लगाकर आवेदन अनुसार निर्देश दिए. सामने खड़े महिला, पुरुष को उनकी शिकायत के अनुसार जवाब तलब किया. चौथी बारी मेरी खुद की आई. तब तक यह साफ हो गया था कि डीजीपी साहब जमशेदपुर के नए एसएसपी पियूष पांडे जैसे हालात नहीं बनाएंगे कि जमशेदपुर से चलकर रांची जाना पड़े.

उन्होंने फतेह लाइव का नाम सुना. आवेदन देखा. शार्ट में कहानी पूछी. एसएसपी को फॉरवर्ड करने वाले मेरे आवेदन को काटते हुए पूछा कि जमशेदपुर में क्राइम का क्या हाल है. सिटी एसपी का क्या नाम है. फोन में नाम खोजते हुए सिटी एसपी को फोन भी लगा दिया. उन्हें निर्देश दिया कि परसुडीह थाना प्रभारी से इन्हें न्याय नहीं मिल रहा है. वह इन्हें तंग कर रहे हैं. मामला भेज रहा हूं. देखना है. सभी लोग मेरे सामने हैं.

उन्होंने सिटी एसपी से कहा फतेह लाईव हैं तो, परसुडीह थानेदार इनको टारगेट करते हैं क्या, मामले की पूरी जांच करें? फिर फोन काटते ही उन्होंने कहा कि पत्रकारों का काम है आईना दिखाना. आप खबर चलाइये हम कार्रवाई करेंगे. यही तो पुलिसिंग है और ऐसे मामलों में मैं मीडिया के साथ हूं. इसी बीच मेरी जुबान में बात आ रही थी कि जांच का जिम्मा फलाने को दे दें साहब. यद्यपि उनकी कार्य शैली देख कुछ कहने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई. झारखंड पुलिस के सरकारी नंबरों की कॉलर ट्यून सेवा ही लक्ष्य को डीजीपी वास्तव में लक्ष्य बनाए हुए हैं.

खैर, डीजीपी का निर्देश आते ही सिटी एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए फतेह लाइव के बारे में जमशेदपुर के एक पत्रकार से पूछ लिया. मैं तब मुख्यालय कैंपस में कुछ जमशेदपुर में रह चुके पुराने परिचितों से बातें कर रहा था, इस दौरान चाय की चुस्की भी ली. सिटी एसपी ने अपना काम शुरू कर दिया. यह जान मुझमें भी न्याय की आस जगी.

काश… डीजीपी अनुराग गुप्ता जैसे कार्य करने की शैली हर पुलिस वाला ख़ासकर आज के नए थानेदार बना लें, तो समन्वय अपने आप बरकरार रहेगा. इस मुलाक़ात में जमशेदपुर में सीरियल क्राइम के दौरान तत्कालीन एसपी नवीन कुमार के पब्लिक विरोध के बीच आईजी रहते हुए अनुराग गुप्ता के शहर आगमन की कुछ पुरानी यादें भी ताज़ा हुई, जिसे सुनकर डीजीपी साहब ने भी उस समय के अफसरों की कार्य कुशलता को साझा किया.

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version