लेखक, आनंद सिंह.
जीवन में दो सत्य हैं। तीसरा कुछ भी नहीं। प्रथम सत्य है जीवन। अंतिम सत्य है मृत्यु। मृत्यु को आप जिस नाम से भी पुकारें, चलेगा। आप उसे प्रयाण कहें, महाप्रयाण कहें, अलविदा कहें, जीवन का अंत कहें, जो मन में आए कहें। प्रथम और अंतिम सत्य होकर ही रहता है। जिसका जन्म हुआ है, उसका मरण तो तय ही है। इसमें कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी भी सीमा में नहीं बंधते। वह सीमाओं से परे होते हैं। वह लालसाओं, लिप्साओं, अहम और नश्वर दुनिया से सर्वथा पृथक और भिन्न होते हैं। कई नेता सार्वकालिक, सार्वदेशिक और सर्वदलीय हो जाते हैं। दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी उन्हीं में से एक हैं। जो झारखंडी हैं, उन्हें पता है कि वह इस प्रदेश के सबसे दिग्गज नेता थे। प्रदेशवासी ही नहीं, इस धराधाम पर जहां भी झारखंडी बसते हैं, वो दुखी हैं।
अब इस तस्वीर को देखें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक साथ हैं। मुख्यमंत्री के पिता का निधन हो गया, इसलिए देश के प्रधानमंत्री मिलने आए, सांत्वना देने आए। मिलने के पहले उन्होंने एक संदेश भी लिखा-एक्स पर। उन्होंने लिखाः शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊंचाइयों को छुआ। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की और संवेदना व्यक्त की।
इसके बाद, जब वह सर गंगाराम अस्पताल से श्रद्धांजलि देकर लौटे, तब फिर एक संदेश ट्वीट किया जिसमें लिखा थाः झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। दुख की इस घड़ी में उनके परिजनों से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उनका पूरा जीवन जनजातीय समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहा, जिसके लिए वे सदैव याद किए जाएंगे।
इस तस्वीर को देखने के लिए क्यों कह रहा हूं? इसके अपने निहितार्थ हैं। बेशक झारखंड मुक्ति मोर्चा के अपने सिद्धांत हैं, भारतीय जनता पार्टी के अपने। बेशक चुनाव के दौरान दोनों दल एक-दूसरे पर आक्रमण करते रहे क्योंकि यह राजनीति का लक्षण है। लेकिन, वही राजनीति हमें यह भी बताती है कि जब आत्मा देह त्याग देती है, तब सिर्फ एक ही धर्म बचता है-इंसानियत का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी इंसानियत का परिचय दिया और हमारे मुख्यमंत्री उनसे गले मिल कर फफक-फफक कर रो पड़े। कल्पना कीजिए या फिर गौर से इस तस्वीर को देखिए जिसमें एक प्रधानमंत्री के कंधे पर एक राज्य के मुख्यमंत्री का सिर है और वह (मुख्यमंत्री) रो रहा हो…..प्रधानमंत्री की विचारधारा अलग है, मुख्यमंत्री की विचारधारा अलग है लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच में एक किरदार ऐसा है जो दोनों को मिलाने का काम करता है, बेशक हर चीज के उत्सर्ग के बाद। बेशक काया त्यागने के बाद। वह किरदार दिशोम गुरु शिबू सोरेन का ही है!
राजनीति में बहुत सारी चीजें होती हैं। कुछ चीजें आपको अच्छी लग सकती हैं, कुछ खराब। लेकिन, कुछ मौके ऐसे आते हैं, जब राजनीति खुद को नए सिरे से परिभाषित करती है। मोदी जी और हेमंत सोरेन का इस तरह मिलना, गले मिलना, रोना और मोदी जी का उनके कंधे पर थपकियां देकर सांत्वना देना….यह भी राजनीति का ही एक रुप है। टुच्ची मानसिकता वाले इसे इवेंट मैनेजमेंट करार दें, इससे पहले आप दिशोम गुरु को जरूर याद करें क्योंकि झारखंड का असली नायक वही हैं, कोई और नहीं। उस महानायक को इवेंट मैनेजमेंट से कोई लेना-देना नहीं। वह अंतिम सत्य की राह पर जा चुके हैं। बस, यही एकमात्र सत्य है!!