- आदिवासी समुदाय ने पारंपरिक तरीके से मनाया सरहुल पर्व, नृत्य और संगीत से गूंज उठा खंडोली
फतेह लाइव, रिपोर्टर


गिरिडीह के खंडोली पर्यटन स्थल में रविवार को आदिवासी समुदाय ने बड़े धूमधाम से सरहुल-बाहा बोंगा पर्व मनाया. इस कार्यक्रम का आयोजन ग्राम स्वराज मंच आदिवासी युवा ग्रुप ताला बुरू खंडोली के बैनर तले किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा नेता नूनूलाल मरांडी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस अवसर पर पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला. मंच संचालन अध्यक्ष सुशील हांसदा ने किया, जबकि कार्यक्रम के दौरान आदिवासी महिलाओं ने ढोल नगाड़े की धुन पर आदिवासी परंपरा से नूनूलाल मरांडी का स्वागत किया. यह पर्व प्रकृति की पूजा, नई फसल की शुरुआत और आपसी संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है.
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आदिवासी संस्कृति और परंपरा का शानदार प्रदर्शन
सरहुल पर्व, झारखंड के आदिवासी समुदाय का प्रमुख प्रकृति पर्व है, जिसमें लोग नई फसल की शुरुआत के साथ-साथ पर्यावरण की शुद्धता की कामना करते हैं. इस पर्व के दौरान लोग जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं और इन तत्वों से जुड़ाव महसूस करते हैं. आदिवासी समुदाय के लोग प्राकृतिक संसाधनों के साथ गहरे संबंध में रहते हुए पेड़-पौधों और फल-फूल की पूजा करते हैं. इस बार भी कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने पारंपरिक गीतों और नृत्यों के साथ इस पर्व को उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया.
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प्रकृति से जुड़ी आदिवासी परंपराओं की पुनर्स्थापना
वहीं, बेंगाबाद थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और कहा कि यह पर्व प्रकृति से जुड़ने और समाज की प्रगति की ओर अग्रसर होने का संदेश देता है. उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें. पर्व के दौरान आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में नाचते और गाते हुए अपने पूर्वजों और ग्राम देवताओं की पूजा करते हैं. इस मौके पर भाजपा नेता नूनूलाल मरांडी, पीरटांड़ प्रखंड प्रमुख सिकंदर हेंब्रम सहित आदिवासी समाज के सैकड़ों पुरुष और महिलाएं उपस्थित थे.