• गिरिडीह के 10 गांवों की 50 किशोरियों ने लिया भाग, स्वास्थ्य व जागरूकता पर दिया जोर

फतेह लाइव, रिपोर्टर

गिरिडीह में जागो फाउंडेशन एवं रिबिल्ड इंडिया, मुंबई के आर्थिक सहयोग से कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त समाज निर्माण में किशोरियों की भूमिका विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई. इस कार्यशाला में गिरिडीह प्रखंड के जीतपुर, अलगुंदा एवं सेनादोनी पंचायत के लगभग 10 गांव की 50 किशोरियों ने भाग लिया. जागो फाउंडेशन के सचिव बैद्यनाथ ने कहा कि संस्था किशोरियों के शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं समग्र विकास के लिए निरंतर कार्यरत है. उनके प्रयासों से बाल विवाह में कमी आई है और बाल मजदूरी पर रोक लगी है. जागरूकता बढ़ने से ग्रामीण सरकारी योजनाओं का लाभ भी लेने लगे हैं. उन्होंने बताया कि अब संस्था कुपोषण और एनीमिया मुक्त समाज बनाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू कर रही है, जिसमें किशोरी समूह सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

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किशोर स्वास्थ्य एवं पोषण पर जागरूकता अभियान की तैयारी

कार्यशाला में कुपोषण व एनीमिया से बचाव के लिए सहजन और पपीता के महत्व पर विशेष जोर दिया गया. सरोजित कुमार ने बताया कि पपीता विटामिन सी और ए से भरपूर होता है, जो त्वचा की देखभाल के साथ पाचन शक्ति भी बढ़ाता है. पपीता हृदय गति नियंत्रित करता है और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को राहत देता है. वहीं, सहजन के साग में प्रोटीन, विटामिन-ए, कैल्शियम तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. सहजन ब्लड शुगर नियंत्रित करने के साथ-साथ रतौंधी जैसी बीमारियों को भी दूर भगाता है. सहजन के फूल और फल में भी कैल्शियम, फास्फोरस और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं. बीरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि किशोरियों को सहजन व पपीता के संरक्षण और उपयोग के साथ-साथ इस जानकारी को अपने गांव के लोगों तक पहुंचाने की भूमिका निभानी होगी.

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कुपोषण व एनीमिया से लड़ने में पौष्टिक खाद्य पदार्थों का योगदान

कार्यशाला में किरण वर्मा ने बताया कि सहजन के साग से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द में राहत मिलती है और यह दूध पिलाने वाली माताओं के दूध की मात्रा बढ़ाने में भी मददगार है. सहजन का पौधा आसानी से उपलब्ध है और इसे लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. एक बार लगाने के बाद यह पौधा लगातार साग, फूल और फल देता रहता है. किशोरियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि विश्व पर्यावरण दिवस पर सामूहिक रूप से सहजन एवं पपीता के पौधे लगाए जाएंगे. इस अभियान के तहत 5 पंचायतों के 30 गांवों में 600 किशोरियां मिलकर 900-900 सहजन एवं पपीता के पौधे लगाएंगी और उनकी सुरक्षा करेंगी. अभियान की शुरुआत में वन क्षेत्र पदाधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, शिक्षक-शिक्षिकाएं, आंगनबाड़ी सेविकाएं एवं समाज के प्रमुख लोग भी शामिल होंगे.

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पर्यावरण संरक्षण व पौधरोपण के लिए युवा और किशोरों की भागीदारी

कार्यशाला में किशोरियों के स्वास्थ्य जांच हेतु नि:शुल्क कैंप आयोजित करने और कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त झारखंड बनाने की भी योजना बनाई गई. इस अवसर पर गेंदों प्रसाद वर्मा, डोली कुमारी, सुक्रमणि मरांडी एवं मनोज कुमार ने अपने विचार रखे. कार्यशाला के सफल आयोजन में आशा कुमारी, अंजनी कुमारी, सुमित्रा कुमारी, तंजिम आर, नेहा कुमारी और खुशबू कुमारी सहित कई अन्य किशोरियों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा. इस तरह की पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ेगी और किशोरियां अपने परिवार और समुदाय के स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.

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