जमशेदपुर :
कई दिनों से चर्चा में रहा सोनारी गुरुद्वारा प्रधान पद का चुनाव जिसका रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. इसके लिए चुनाव टीम बहुत धन्यवाद के पात्र है, जिनके मार्गदर्शन में चुनाव को सुचारू बिना विवाद के कराया गया. इस चुनाव के पूर्व बहुत आकलन लगाया जा रहा था. टिनप्लेट गुरुद्वारा चुनाव में जो गड़बड़ झाला हुआ, कहीं उसकी पुनरावृत्ति सोनारी के चुनाव में न हो. इसको लेकर उम्मीदवार तारा सिंह स्वयं बहुत सजग थे, क्योंकि टिनप्लेट के चुनाव में वो खुद मौजूद थे और हर वाद विवाद सारे घटनाक्रम उनके नजरों से गुजरा. ऐसे में ये घटनाएं सोनारी में ना हो, इसका होम वर्क तारा सिंह ने स्वयं ही कर लिया था. चूंकि तारा सिंह पहले भी प्रधान रह चुके हैं और उनका तजुर्बा भी काफी रहा है, इसलिए उनकी टीम भी इस चुनाव को लेकर हर एक बिंदु पर नजर रख रही थी और फिर अंततः चुनाव सफल पूर्वक संपन्न हुआ. तारा सिंह की विजय हुई, हालांकि तारा सिंह प्रतिद्वंदी उम्मीदवार बलबीर सिंह एंड टीम ने मतगणना समाप्त के बाद फिर दो बार मतगणना करवाई, परंतु कोई सफलता नहीं मिली. चुनाव के परिणाम के अंत में तारा सिंह को बधाइययों का तांता लगने लगा, परंतु जिन पर निगाहें टिकी थी, वो नहीं आए. जी हां, संगत में जो बातें होती रहीं कि सीजीपीसी अध्यक्ष भगवान सिंह जो चुनाव में सुबह दौरा करने जरूर आएं, परंतु परिणाम के बाद नहीं आए. हालांकि तारा सिंह को उन्होंने बधाई जरूर दी.
इसकी चर्चा खूब हो रही है की भगवान सिंह आखिर बलबीर सिंह जीत का इंतजार कर रहे थे. क्या वो जीतते तो भगवान सिंह आते ? इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की प्रधान को बधाई देने सीजीपीसी का अध्यक्ष सोनारी गुरुद्वारा नहीं पहुंचे, लेकिन अगर ये सच है तो भगवान सिंह को सोचना चाहिए कि वह व्यक्ति विशेष के प्रधान नहीं है. वह पूरी संगत के प्रधान बने हैं. उनको जमशेदपुर की संगत ने प्रधान बनाया है. बहरहाल, अब सीतारामडेरा में सबकी नजरें टिकी हैं. वैसे रविवार को एक गुरूद्वारे के चुनाव में गुरु दरबार में फिर मर्यादा तार तार हुई, जहां प्रधानों के बीच हाथपाई हुई. सरोपा की खींचतान भी हुई. एक गुट की महिलाओं ने पुरुष सदस्यों पर हाथ छोड़े. एक व्यक्ति के हाथ में चोट भी आई. थाना पुलिस भी सूचना पर पहुंच गया था. सीजीपीसी के पदाधिकारियों ने मामला पहुंचकर शांत कराया. इस घटना ने सीजीपीसी प्रधान का सिरदर्द बड़ा दिया है.