फतेह लाइव, रिपोर्टर

योग्यता नहीं रहते हुए भी आज प्रायः लोग नौकरी के पीछे पागल हैं. अपनी सरकार के साथ अपने तकदीर को भी कोसते रहते हैं और नौकरी ही रोजी-रोटी की एक मात्र जरिया समझते हैं, लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड अंतर्गत टांगराईन गांव के सुनिल सिंह मुंडा ने वैज्ञानिक पद्धति से करैला की खेती कर दिखा दिया कि हरी सब्जी खेती करके भी जीविकोपार्जन भली भांति किया जा सकता है.

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वह झारग्राम निवासी कृषि विशेषज्ञ पिंटू कुमार महतो के दिशा-निर्देश पर लगातार तीन वर्षों से लगभग चार एकड़ भूमि में प्राय पच्चीस हजार खर्च कर हर साल केवल एक ही सब्जी में तीन से चार लाख रुपए कमाने का मार्ग बना लिया है एवं नौकरी नौकरी की रट ही छोड़ दी है. कहने का तात्पर्य यह है कि निष्ठा के साथ मेहनत कभी भी बिफल नहीं जाता और रोजी-रोटी के लिए नौकरी ही एक मात्र उपाय नहीं रह जाता. तो आईए नौकर/गुलाम बनने के जगह हम सब एक बार स्वतंत्र किसान बनने का प्रयास करें. इसमें सरकारी सहयोग भी अवश्य अपेक्षित है.

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