फतेह लाइव रिपोर्टर.






































आईएमए जमशेदपुर के सचिव डॉ सौरभ चौधरी ने विधायक सरयू राय को सीधी चुनौती देते हुए डॉक्टरों की मान-प्रतिष्ठा से नहीं खेलने की खरी सलाह दी है. मंगलवार को बुलाये गये पत्रकार वार्ता में डॉ चौधरी ने एक-एककर घटनाओं की चर्चा कर विधायक सरयू राय और विधायक सीपी सिंह को जनता के कटघरे में खड़ा किया. सवाल उठाया कि क्या इन विधायकों के क्षेत्र की विकास के कार्य पूरे हो गये, वहां राम राज्य स्थापित कर दिया गया है जो वर्षों पुराने मामलों को उठाकर अपना राजनीति हित साधने में जुटे हैं?

डॉ चौधरी ने कहा कि समाज में वर्षों की तपस्या के बाद कोई डॉक्टर एक मान-प्रतिष्ठा व सामाजिक छवि स्थापित करता है. विधायक सरयू राय उसे धूमिल करने का कुत्सित षडयंत्र रच रहे है. वह भी ऐसे में जबकि जिले के पूर्व सिविल सर्जन रहे डॉ एके लाल को हाईकोर्ट बेदाग बरी कर चुका है और डॉ रेणुका चौधरी का मामला कोर्ट में लंबित है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे में न्यायापालिका से ऊपर जाकर संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग करना उचित है?
साकची आईएमए भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में सचिव डॉ सौरभ चौधरी ने विधायक सरयू राय पर डॉक्टरों को जानबूझ कर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. देश में भी आक्रोश का कारण बन चुके राजस्थान की महिला डॉक्टर की आत्महत्या की घटना को याद दिलायी. कहा कि यह विचार करने योग्य बात है कि आखिर उस महिला डॉक्टर को कितना प्रताड़ित किया गया कि उसने जीने से बेहतर जान देना ही सहज लगा और झारखंड के राजनेता इन घटनाओं से भी सीख लेने को तैयार नहीं हैं.

डॉ चौधरी यहीं नहीं रुके. कहा कि वर्षों के काम के बाद डॉक्टरों द्वारा अर्जीत किये गये मान-सम्मान के पीछे जब एक राजनेता पड़ जाये तो यह तकलीफ दायक है. डाॅ एके लाल ने जो मुकाम वर्षों की मेहनत से हासिल किया, उसे भूलकर विधायक 20 साल पुराने मामले में उनके पीछे पड़ गये. सरकार को उन्हें हटाना पड़ा. हाईकोर्ट ने जब उन्हें बेदाग साबित कर दिया है. तो क्या विधायक सरयू राय इन दो साल में डॉक्टर एके लाल के , मान-सम्मान परिवार की मानसिक प्रताड़ना की जो हानि हुई उसे लौटा सकते हैं?

मामला यहीं तक नहीं रुका है, माननीय सीपी सिंह ने रेणुका चौधरी का मामला उठाया जो डेढ़ दशक पूर्व रिटायर हो चुकी हैं. मामला कोर्ट में लंबित है. अब इसे वषों बाद विधायक सरयू राय विस में उठाकर क्या हासिल करना चाहते है? डॉ सौरभ ने सवाल उठाया कि एक बुजुर्ग महिला डॉक्टर को उनकी सेवानिवृत्ति के डेढ़ दशक बाद प्रताड़ित करना, 40 साल में अर्जित उसकी मान-प्रतिष्ठा को धूमिल करना कहां तक उचित है, यह सवाल जनता के सामने हैं. विधायक जनता का प्रतिनिधि होता है और वह विधायक सरयू राय को जनता के कटघरे में खड़ा कर सीधे डिबेट की चुनौती देते हैं. ताकि सच उसके सामने आ जाये.
आईएएम के जमशेदुपर अध्यक्ष डॉ जीसी मांझी, डॉ रेणुका चौधरी, डॉ एके लाल, डॉ आरएन प्रसाद, डॉ दिवेश बहादुर, डॉ प्रेमलता, डॉ अजय आदि की मौजूदगी में सचिव डॉ सौरभ चौधरी ने कहा कि माननीयों द्वारा डॉक्टरों को निहित स्वार्थ वश प्रताड़ित करने का यह खेल वह नहीं चलने देंगे. इसके लिए स्टेट व नेशनल प्रेसिडेंट को पत्र लिखा गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से घटनाओं पर हस्तक्षेप करने की मांग की जायेगी ताकि डॉक्टरों की माननीयों द्वारा की जा रही प्रताड़ना का दौर थम सके.