लेखक: मुकेश मित्तल (राष्ट्रवादी चिंतक और सामाजिक विचारक)

10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण सीज़फायर समझौता हुआ, जिसने दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों को युद्ध के कगार से वापस लाया। यह संघर्ष 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक रूप माना जाता है ।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए । पाकिस्तान ने इसके जवाब में भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।

सीज़फायर की प्रक्रिया

अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका, ने इस संघर्ष को रोकने के लिए मध्यस्थता की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की, जिससे 10 मई को सीज़फायर समझौता हुआ । 

क्या अमेरिका के दबाव में हुआ सीज़फायर?

हालांकि अमेरिका ने इस सीज़फायर में मध्यस्थता की, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय उसकी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि यदि वह आतंकवाद का समर्थन जारी रखता है, तो भारत फिर से सैन्य कार्रवाई करेगा ।

प्रधानमंत्री मोदी का 12 मई का संबोधन

12 मई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है। उन्होंने कहा, “हमारी सेना ने आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया है, और पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत केवल आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दों पर ही पाकिस्तान से बातचीत करेगा । 

भारत की मजबूती और संप्रभुता

भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में अपनी सैन्य शक्ति और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रदर्शन किया। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। सीज़फायर का निर्णय भारत की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

निष्कर्ष

10 मई 2025 का सीज़फायर भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीतिक कौशल और संप्रभुता की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है, और उसकी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

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