लेखक: मुकेश मित्तल (राष्ट्रवादी चिंतक और सामाजिक विचारक हैं.)
पहलगाम हमला: आतंक का काला दिन
पहलगाम में अमरनाथ यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को निशाना बनाकर आतंकियों ने एक भयावह कृत्य किया। आतंकियों ने यात्रियों के नाम पूछकर 28 निर्दोष लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी। यह हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला था।
भारत का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत
भारत ने इस बर्बर हमले का जवाब 15 दिनों में दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक इस गुप्त सैन्य अभियान में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के 9 बड़े आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। वायुसेना और विशेष बलों की कार्रवाई ने आतंकवादियों की रीढ़ तोड़ दी।
राजनीतिक एकजुटता: राष्ट्रहित में सब साथ
इस ऑपरेशन के बाद भारत में अभूतपूर्व राजनीतिक एकता देखने को मिली। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने इस सैन्य कार्रवाई का खुलकर समर्थन किया। संसद में एक स्वर में प्रस्ताव पास हुआ कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और उसे वापस लिया जाना चाहिए।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति: गिरते किले की दीवारें
पाकिस्तान की आर्थिक हालत नाजुक है। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो रहा है, महंगाई चरम पर है और IMF की शर्तों ने जनता की कमर तोड़ दी है। पाकिस्तान लंबे समय तक युद्ध जैसे हालात नहीं झेल सकता। यही समय है जब भारत पीओके को मुक्त कर उसे भारत में शामिल करे।
इतिहास से प्रेरणा: हम आक्रांताओं को जवाब देते हैं
भारत सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक की भूमि है। ये शासक पहले प्रहार में विश्वास रखते थे। आज का भारत भी उसी नीति पर चल पड़ा है – अब हम इंतजार नहीं करते, अब हम रणनीतिक हमले करते हैं।
बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा: अगला मोर्चा?
बलूचिस्तान और खैबर पख्तून जैसे क्षेत्रों की जनता पाकिस्तान से त्रस्त है। भारत को इन क्षेत्रों की आजादी के संघर्ष को समर्थन देना चाहिए। इससे पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक शक्ति और कमजोर होगी, और भारत की सामरिक स्थिति सशक्त होगी।
भारत की नई नीति: निर्णायक और साहसी
“भारत पहले हमला नहीं करता” – यह बात अब बीते युग की है। आज का भारत आतंक का जवाब आतंक के गढ़ में जाकर देता है। ऑपरेशन सिंदूर ने इस सोच को बदल दिया है। भारत अब केवल जवाब नहीं देता, बल्कि पहले से तैयारी करता है, हमला करता है और जीतता है।
एकजुट भारत: एक देश, एक विचार
इस अभियान में भारतीय जनता, सेना, मीडिया और सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर जो एकता दिखाई, वह भारत की सबसे बड़ी शक्ति है। यही भारत की असली ताकत है – एकजुटता।
निष्कर्ष:अब पीछे हटने का समय नहीं
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि नए भारत की पहचान है। अब पीओके की मुक्ति दूर नहीं। अब बलूचिस्तान की आजादी भी एक रणनीतिक अवसर है। भारत को चाहिए कि वह इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाए।
अब समय है…
…जब भारत अपनी खोई भूमि को वापस ले।
…जब भारत आतंकवाद की जड़ को उखाड़ फेंके।
…जब भारत दक्षिण एशिया में शांति का वास्तविक नेतृत्व करे।