फतेह लाइव, रिपोर्टर।
टाटानगर रेलवे स्टेशन में रेल भूखंड के खेल में गत 28 जून 2023 को रेलकर्मी सुनील कुमार पिल्लेई ने आत्मदाह कर लिया था. यह घटना देश भर में सुर्खियों में बन गई थी. इस घटना के 54 दिन बीत जाने के बाद भी मामला चर्चा में बना हुआ है. रेल महकमे ने भले ही लैंड विभाग अधिकारी, वर्षों से जमे कुछ कर्मचारी और आरपीएफ के एक दरोगा व जवान को हटाकर मामला शांत करने की कोशिश जारी है.
थाना प्रभारी पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई : कमलेश
इस मामले में आरपीएफ थाना प्रभारी एसके तिवारी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए उनपर भी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है. इसे लेकर कांग्रेस आरटीआई सेल के चेयरमैन कमलेश कुमार का कहना है कि जब पिल्ले के पूरे परिवार को आरपीएफ पोस्ट हाजत में डाल दिया गया तो उन्होंने आत्महत्या कर ली. उसके बाद परिवार को छोड़ दिया गया. आखिर इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी को किस आधार पर छोड़ा गया है. अगर जांच होती है तो बहुत बड़ा पर्दा उठेगा.
कागजात दिए जाएं
बहरहाल, आरटीआई कार्यकर्त्ता कमलेश कुमार ने 11 जुलाई को रेलवे के जन सूचना पदाधिकारी एवं वरीय मंडल कार्मिक अधिकारी के यहां पत्र डालकर 2005 सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी. कहा गया है कि पैसे के बल पर आरपीएफ और लैंड विभाग असंवैधानिक ढंग से पिल्ले की पुस्तैनी जमीन पर कब्ज़ा करना चाह रहे थे. जिसके फलस्वरूप उक्त घटना घटी. व्यवसाई ओम प्रकाश कसेरा को ऐसा क्या कागज मिल गया था, जिसके बाद अधिकारी पिल्ले के घर गए वह उपलब्ध कराया जाये.
सरकार के जन कल्याण के कार्यों में विघ्न डाल रहें अधिकारी
साथ ही उक्त जमीन के कागजात खतियान सहित दिए जाये. कमलेश कुमार ने शिकायत में कहा है कि सूचना मांगने का कारण यह है कि लैंड और आरपीएफ के कुछ अधिकारी भारत एवं राज्य सरकार के जन कल्याण के कार्यों में बाधा पहुँचाकर वेतन मद कि राशि से अधिक आय अर्जित करने के उद्देश्य से व्यवसायियों और असमाजिक तत्वों का सहयोग करके अपना आय का स्त्रोत बनाये हुए हैं तथा गरीब लाचार लोगों के साथ अन्याय करके साफ सफाई के नाम पर रेल मंत्रालय की आंखों में धूल झोकने का काम कर रहे हैं.
रेलवे ने 26 जुलाई को भेजा जवाब, पढ़िए क्या कहा
कमलेश कुमार के आरटीआई के जवाब में 26 जुलाई को जन सूचना पदाधिकारी ने जवाब भेजा. जिसमें कहा गया है कि उक्त मामले की जांच चल रही है. अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. इसलिए अधिनियम 05 की धारा 8-(एच) के प्रावधानों के अनुसार जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है, क्यूंकि इससे जांच की प्रक्रिया बाधित होगी. इधर,इस जवाब के अलोक में पुनः एक अगस्त को कमलेश कुमार ने पत्र लिखते हुए मांग किया की उस मामले की जांच कब तक पूरी होगी और जांच टीम में कौन कौन अधिकारी है इसकी जानकारी दी जाये. यह धारा 8 (जे) के तहत नहीं आता है की यह नहीं बताना है.
सांसदों को उल्लू बनाने का काम कर रहें लोकसेवक
इसका जवाब नहीं आने पर 18 अगस्त को फिर जन सूचना अधिकारी को पत्र लिखकर कहा की अधिनियम धारा 8 (एच) के अंतर्गत रेल प्रशासन के गलत क्रियाकलापों में उनके दृष्टिकोण को साफ करने के उद्देश्य से सूचना की मांग की जाती है, जो ना तो राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बंधित है और ना ही लोकतंत्र की मर्यादा में किसी प्रकार का दाग लगने की बात. जवाब न देकर लोकसेवक लोकसभा में पारित अधिनियम 2005 में लोकसभा के सांसदों को उल्लू बनाने का काम कर रहे हैं, जो अशोभनीय है. अब कमलेश प्रथम अपील में जाने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा की इसके साथ ही द्वितीय अपील करेंगे और रेल मंत्रालय तक मामला ले जायेंगे जब तक कि मामले साफ नहीं हो जाता.
मामला दबाने में लगा चक्रधरपुर मंडल
चक्रधरपुर रेल मंडल मामला दबाने में लगा हुआ है. मृतक पिल्ले के परिवार को इंसाफ का इंतजार है और उधर, दोषी व्यवसायी दुकान में आराम से काम कर रहे हैं. स्थानीय पुलिस भी चुप बैठी है. पुलिस क्यों चुप है इसका खुलासा भी किया जायेगा. मालूम हो कि इस मामले को लेकर डीआरएम तक जांच करने पहुंचे थे. पिल्ले के घर भी गए थे, तो क्या वह दिखावा था. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए थाना प्रभारी तिवारी की शिकायत आईजी, डीजी, आरपीएफ को की जाएगी.