- फर्जी निर्यात और टैक्स रिफंड घोटाले में कस्टम विभाग के अधिकारी जांच के घेरे में
- सात सोने की ईंटें और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त
- GST घोटाले की परतें जल्द खुलेंगी, जांच में कई बड़े नाम आ सकते हैं सामने
फतेह लाइव, रिपोर्टर
जमशेदपुर समेत झारखंड और बिहार के सात स्थानों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 100 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में एक साथ छापेमारी की. जमशेदपुर के टाटा मेन अस्पताल (TMH) के पास स्थित एक वरिष्ठ जीएसटी अधिकारी के आवास पर भी जांच एजेंसी ने कार्रवाई की. बताया जा रहा है कि यह घोटाला नेपाल के रास्ते किए गए फर्जी निर्यात के ज़रिए अंजाम दिया गया, जिसमें टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स को निर्यात दिखाकर टैक्स रिफंड के तौर पर करीब 100 करोड़ रुपये की वसूली की गई. पटना, पूर्णिया, नालंदा और मुंगेर में भी छापे मारे गए हैं.
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GST अधिकारी के घर पर CBI की दबिश, क्या है नेपाल से जुड़े घोटाले का राज?
CBI की एफआईआर के अनुसार, यह घोटाला कस्टम विभाग के उच्चाधिकारियों और कुछ निजी निर्यातकों व आयातकों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया. जयनगर, भिमनगर और भिट्टा मोड़ के जरिए माल भेजने का झूठा दावा किया गया, और इसके आधार पर सरकारी खजाने से टैक्स रिफंड क्लेम किया गया. इस घोटाले में चार कस्टम अधिकारियों—नीरज कुमार, मनमोहन शर्मा, तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिंह—की संलिप्तता सामने आई है. छापेमारी के दौरान CBI ने सात सोने की ईंटें बरामद की हैं, जिनका वजन 100 ग्राम प्रति ईंट है, साथ ही कई आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए गए हैं.
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कैसे अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों से हासिल किया करोड़ों का टैक्स रिफंड? जानिए पूरी साजिश
CBI का कहना है कि इन अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ के लिए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. फर्जी दस्तावेजों की मंजूरी देकर उन्होंने निर्यात और टैक्स छूट की आड़ में सरकार को करीब 100 करोड़ का नुकसान पहुंचाया. अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन सीबीआई ने संकेत दिया है कि जांच आगे बढ़ रही है और जल्द ही और खुलासे संभव हैं. इस घोटाले में जुड़े निजी व्यक्तियों और कंपनियों की भूमिका भी गंभीरता से खंगाली जा रही है.