फतेह लाइव, रिपोर्टर

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा अनुष्ठान के दूसरे दिन संध्या बेला छठ व्रतियों ने विधिवत रूप से खरना पूजा की। इस मौके पर छठवर्तियों ने पूरे विधि-विधान एवं पूर्ण शुद्ध रूप से आम की लकड़ी से मिट्टी के चुल्हा या लोहे के चु्ल्हा पर गुड़ की खीर और रोटी आदि का प्रसाद बनाया और पूजा अर्चना की तथा इसे ग्रहण किया। इस पावन मौके पर बड़ी संख्या में व्रतियों के रिश्तेदार, जान पहचान वालो ने एक दूसरे के घर जाकर छठी मैया को माथा टेका तथा प्रसाद ग्रहण की। गुरुवार को अल्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य और शुक्रवार को उदयागामी भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ सम्पन्न होगा.

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कौन है छठी माता?

भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी छठी मैया हैं। इस महापर्व के दौरान विधिपूर्वक छठी मैया के संग सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठ मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं। षष्ठी देवी यानी छठ मैया संतान प्राप्ति की देवी हैं और शरीर के मालिक भगवान सूर्य हैं। छठ पर्व को लेकर एक और कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गये, तब श्री कृष्ण द्वारा बताये जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएँ पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला।

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