शैलेंद्र सिंह-सुरजीत सिंह क्यों नहीं घोषणा किए,

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के राष्ट्रीय संयोजक अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने कहा कि प्रधान भगवान सिंह संगत को बेवकूफ समझते हैं। वे अभी मत्ता पास कर रहे हैं कि एक व्यक्ति एक मत की पद्धति पर भविष्य में काम होगा। वह तभी होगा जब उनके मन मुताबिक होगा। सरदार सुरजीत सिंह उनके सलाहकार हैं। क्या उससे इन्होंने घोषणा ली, कि वह टीनप्लेट के सदस्य रहेंगे कि बारीडीह के।

अपनी मर्जी से संविधान बनाने वाले और संविधान की व्याख्या कर सभी को बेवकूफ बनाने वाले शैलेंद्र सिंह बताएंगे कि वह गौरी शंकर रोड गुरूद्वारा कमेटी के सदस्य रहेंगे कि स्टेशन रोड गुरुद्वारा कमेटी के।

यहां अपना फायदा देखेंगे और उसके अनुसार अपनी वोट भी तय कर लेंगे। कुलविंदर सिंह के अनुसार मैंने पहले ही कहा था कि लोग अपने सामर्थ्य, सर्कल और हैसियत के अनुसार भोग में भोज परोसते हैं। 15 दिन में दाल फुल्का की हवा निकल गई। अभी भविष्य में कोई प्रभावशाली सिख जब भोग आयोजित करेगा, तो उसमें विविध व्यंजन होंगे। तब अपनी लाज बचाने को अगली मीटिंग में उसको भी पारित कर देंगे।

जमशेदपुर की संगत ने इनके दाल-फूलका के अभियान को पलीता लगा दिया और उनके हर अभियान को पलीता लगता रहेगा, क्योंकि यह फर्जी तरीके से प्रधान बने हैं और कुछ नहीं बस गुंडागर्दी कर रहे हैं।

कुलविंदर सिंह के अनुसार सीजीपीसी की बैठक में क्यों नहीं अपना एक उम्मीदवार इन्होंने तय कर लिया। किसी एक को सिख उम्मीदवार नहीं बनाना है, क्योंकि इसकी आड़ में इन्हें राजनीतिक दल के साथ सौदा बाजी कर अपने व्यवसाय को चमकाना है।

यहां विद्युत वरण महतो को हराने का काम कर रहे थे और दिल्ली में जाकर उन्हें मंत्री बनाने की सिफारिश कर रहे थे?

कुलविंदर सिंह ने भगवान सिंह से यह भी पूछा है कि उनके मर्दमशमारी योजना का क्या हुआ है? एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जनगणना का शिगुफा छोड़ा गया था।

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