फतेह लाइव, रिपोर्टर।

गुरु नानक सेवा दल (ट्रस्ट) के तत्वावधान में गुरुद्वारा मैदान साकची में दो दिवसीय कीर्तन दरबार शनिवार से शुरू हो गया।

इस मौके पर विशेष तौर पर पहुंचे श्री दरबार साहिब अमृतसर के पूर्व मुख्य ग्रंथी सिंह साहेब ज्ञानी मान सिंह ने कहा की इस जगत में जो कुछ होता है। वह ईश्वर की इच्छा से होता है और हमें बिना प्रार्थना अरदास के कोई भी काम शुरू नहीं करना चाहिए। गुरमत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यदि अरदास के बिना काम शुरू किया जाए तो वह व्यक्ति तनखइया है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा की अरदास भक्तों के लिए ईश्वर का विशाल उपहार है। सच्चे अंतर्मन से की गई प्रार्थना अरदास प्रभु जरूर सुनते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई दाता दानकर्ता नहीं है। पूरी दुनिया का चक्कर लगा लीजिए तो, आप पाएंगे वह परमपिता परमेश्वर ही सबसे बड़ा दानी है और वह समस्त जीवों का पालनहार है।

इसके साथ ही कीर्तन दरबार में रागी प्रिंसपाल सिंह पटियाला वाले, भाई संदीप सिंह जवद्दी लुधियाना वाले, श्री दरबार साहिब के हजूरी रागी भाई जगतार सिंह राजपुरा वाले, भाई जसपाल सिंह छाबड़ा, स्त्री सत्संग सभा साकची ने मनोरम राग गुरबाणी गायन किया।

गुरु दरबार में सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भगवान सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह, महासचिव गुरुचरण सिंह बिल्ला, प्रधान निशान सिंह, प्रधान दलबीर सिंह, दलजीत सिंह दल्ली, गुरदीप सिंह काके, सुखविंदर सिंह, दलबीर सिंह, कुलविंदर सिंह, बीबी कमलजीत कौर शाहिद सैकड़ो लोगों ने गुरु घर में हाजिरी भरी।

इससे पहले सुबह में श्री गुरुग्रंथ साहिब जी को शोभा यात्रा के रूप में वाहेगुरु सतनाम सिमरन एवं कीर्तन के साथ मैदान में सजे हुए पंडाल में ले जाकर सुशोभित किया गया। ट्रस्ट के प्रधान हरविंदर सिंह मंटू ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार रूप में शीश पर रखा हुआ था।

ट्रस्ट के महासचिव श्याम सिंह भाटिया, कोषाध्यक्ष अजीत सिंह गंभीर, सुखविंदर सिंह, रिखराज सिंह रिक्की, अमरीक सिंह मिक्के, त्रिलोचन सिंह पप्पी बाबा, त्रिलोचन सिंह लोची एवं अन्य संगत साथ में थे। सुखविंदर सिंह ने मंच का संचालन किया।

श्री गुरु नानक सेवा दल की ओर से दोपहर का लंगर और खालसा सेवा दल की ओर से चाय की सेवा उपलब्ध रही।
रात के दीवान में सनी सिंह, अमन सिंह, सतबीर सिंह, जोगिंदर सिंह की ओर से नाश्ते का प्रबंध किया गया। देर तक संगत गुरु दरबार में वाहेगुरु के ध्यान लगी रही।

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