जमशेदपुर।
सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) में गुरचरण सिंह बिल्ला को महासचिव बनाये जाने का विरोध भी शुरु हो गया है. रंगरेटा महासभा गोलबंद होने लगे हैं. महासभा के प्रधान मंजीत सिंह गिल और टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा के पूर्व प्रधान एवं सीजीपीसी के पूर्व महासचिव जसबीर सिंह पदरी ने फतेह लाइव न्यूज को संयुक्त बयान देते हुए प्रधान भगवान सिंह से बिल्ला को हटाने की अपील की है. सिख नेताद्वय का कहना है कि सीजीपीसी में पूर्व प्रधान निरंजन सिंह किंग के समय से ही प्रथा रही है कि महासचिव रंगरेटा समाज का रहेगा. अभी तक वैसे ही चलता आया है, लेकिन पिछले दिनों बिल्ला को महासचिव बना दिया गया जो समाज के लिए एक बड़ी साजिश है.
उन्होंने कहा कि सुरजीत सिंह खुशीपुर कौन होते हैं जिनके कहने पर भगवान सिंह ने यह निर्णय लिया. भगवान सिंह ने किसी के इशारे पर यह किया है और जमशेदपुर के रंगरेटा समाज को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है. जिसे समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. इतना बड़ा फैसला लेने से पहले उन्होंने समाज के गणमान्य लोगों से विचार क्यों नहीं किया. मंजीत और जसबीर ने कहा कि तत्काल भगवान सिंह बिल्ला को उस पद से मुक्त करें और रंगरेटा समाज के किसी भी व्यक्ति को पद से सुशोभित करें अन्यथा शहर में एक नया आंदोलन कि रूप रेखा तैयार होगी. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में रंगरेटा समाज की 60 फीसदी आबादी है और समाज को दरकिनार किया जाना बर्दाश्त करने योग्य नहीं है.
पदरी ने कहा कि पंजाब में भी रंगरेटा समाज अस्तित्व कि लड़ाई लड़ रहा है और जमशेदपुर में भी इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. जिसकी सारी जवाबदेही सीजीपीसी प्रधान की होगी. दूसरी ओर इस मामले में बिल्ला ने कहा कि सिख की कोई जात नहीं होती है. खंडे की पाहुल लेकर वह एक खालसा सज जाता है. उन्हें जो भी सेवा मिली है वह सीजीपीसी पदाधिकारियों की सहमति से मिली हैं. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें भी पंथ की मजबूती के लिए एकता का परिचय देने की बात कही है. इस पर मंजीत ने कहा कि अगर बिल्ला ऐसा है तो बिल्ला अपना त्यागपत्र दें और सिख कि परिभाषा का मान सम्मान बना रहने दें. उन्होंने कहा कि सिर्फ प्लानिंग के तहत टिनप्लेट गुरुद्वारा में रंगरेटा समाज की वोट क्यों काटी जा रही है. इसका रंगरेटा समाज में रोष व्याप्त है.