फतेह लाइव, रिपोर्टर.

जमशेदपुर ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में इस्लाम धर्म के प्रचारक एवं अल्लाह के अन्तिम दूत अर्थात पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्म दिवस जिसको ईद मिलादुन्नबी के नाम से भी जाना जाता है। 12 रबी उल अव्वल के दिन अल्लाह के प्यारे नबी के आमद की खुशी में शहर सहित विभिन्न कस्बे एवं गांव रंग बिरंगी रोशनी में जगमगा गये।

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जहां कीताडीह मदरसा गौसिया नूरिया के मौलाना इशहाक अंजुम ने फतिया खानी पढ़कर दुआएं मांगी. वहीं इश्हाक अंजुम ने पत्रकारों को बताया कि मुसलमान सारी रात अल्लाह ताला की इबादत कर और सोमवार को पूर्व की तरह जुलूस निकले। हजरत मोहम्मद साहब का जन्म 21 अप्रैल 571 ई0 को मक्का शहर में हुआ। आपकी माँ का नाम आमना एवं पिता अब्दुल्लाह थे। अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद सलल्लाहो अलैह वसल्लम ने अपने 63 वर्ष 4 दिन के जीवन काल में लोगों को आपसी भाईचारे, अमनो अमान कायम रखने, महिलाओं का सम्मान, गरीबों की मदद, बेसहारों को सहारा देने की सीख दी।

इस्लामिक कौलें के अनुसार माह रबी उल अव्वल की 12 तारीख को सुबह सादिक के वक्त (अल सुबह) आपकी पैदाइश हुई। मोहम्मद साहब के मानने वाले तथा उनके नक्शे कदम (बताए रास्तों चलने वाले आपकी पैदाइश की पूर्व संध्या से लेकर पूरी रात रों, खानकाहों, मजारों एवं अन्य धार्मिक स्थलों में रोशनी पूरी रात नमाज, तिलावते कुरआन के साथ ही कब्रिस्तानों होकर पूरी रात नमाज, तिलावते कुरआन के साथ ही कब्रिस्तानों पर जाकर फातेहा ख्वानी कर मरहूमों की मगफिरत की दोआएं करते हैं। मौलाना व मस्जिदों के इमाम तकरीर के माध्यम से लोगों को अल्लाह के नबी के संदेशों एवं बताए रास्तों पर चलने की सीख देते हैं। ईद मिलादुन्नबी का त्यौहार मोहम्मद साहब के प्रति सम्मान, प्रेम और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

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