फतेह लाइव, रिपोर्टर.
ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन के पूर्वी भारत अध्यक्ष सतनाम सिंह गंभीर ने कहा की केंद्र सरकार द्वारा उनका अंतिम संस्कार राजघाट पर करने के उनके परिवार के अनुरोध को अस्वीकार करना अत्यंत निंदनीय कृत्य है. यह न केवल एक महान व्यक्ति का अपमान है, जो इस देश के लिए समर्पित है बल्कि यह हमारी पगड़ी का भी अपमान है.’ जबकि पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर करने की परंपरा रही है.
आज़ादी के बाद के इतिहास में बहुत कम ऐसे प्रधान मंत्री हुए हैं जिनका कार्यकाल 10 साल या उससे अधिक रहा हो, जबकि कम समय के लिए प्रधानमंत्री रहे व्यक्तियों का संस्कार भी क्षति और सम्मान के तौर पर किया जाता रहा है, लेकिन एक पूर्व प्रधानमंत्री जिन्होंने देश को एक नई दिशा दी और जो देश के एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे केंद्र सरकार द्वारा देश. इस तरह से अपमान करने से साबित होता है कि जिस सिख समुदाय ने देश के लिए सबसे ज्यादा बलिदान दिया है और देश की प्रगति में सबसे ज्यादा योगदान दिया है.
उसके साथ सरकारी स्तर पर भेदभाव किया जाता है. क्योंकि अगर देश की निस्वार्थ सेवा करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री के साथ ऐसा हो सकता है तो आम सिख के बारे में कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है.
सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि आज भारत में केंद्र सरकार लगातार सिख समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है. केंद्र सरकार न तो बंदी सिंहों को रिहा कर रही है, न ही किसानों के मुद्दे सुलझा रही हैऔर अब अंतिम समय में एक पूर्व सिख प्रधान मंत्री के साथ इस तरह का भेदभाव वर्तमान सरकार का भेदभाव है सिक्खों के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करता है लेकिन केंद्र सरकार को समझना चाहिए कि इससे देश की प्रगति में अहम योगदान देने वाले अल्पसंख्यक समुदाय में बेगानगी अहसास होता है.