फतेह लाइव, रिपोर्टर.
कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने देश के राजनीतिक दल नेताओं को सलाह दी है कि चुनाव जीतने के लिए सीजीपीसी (सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) से गुर सीखें अथवा टिप्स लें. सीजीपीसी तो ईराक सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी, सीरिया में असद की अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी, पुराने रूस की कम्युनिस्ट पार्टी, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को भी मात देती है. पूरी दुनिया में माना जाता है कि रूस इराक सीरिया और चीन में लोकतांत्रिक तरीके से प्रतिनिधि नहीं चुना जाता है. वैसा ही हाल सीजीपीसी का भी है. मुठ्ठी भर लोग पहले ही तय कर लेते हैं कि लोकल कमेटी अथवा सीजीपीसी का प्रधान किसे बनाना है. फिर जर्मन के गोबल्स की तरह झूठी कहानी इस तरह से गढ़नी है कि जिला के प्रशासकीय पदाधिकारी, सांसद, विधायक, राजनीतिक दल के नेता एवं बुद्धिजीवी को विश्वास हो जाए कि सिख समाज में यही चार-पांच लोग बुद्धिमान है और बाकी सारे झूठे हैं.
तो बात शुरू करते हैं कि भगवान सिंह को प्रधान बनाने का फैसला हुआ, चुनाव की तारीख आगे नहीं बढ़ी तो दूसरे उम्मीदवार हरमिंदर सिंह मिंदी ने बहिष्कार कर दिया. दिखावे के लिए मतदान प्रक्रिया हुई और भगवान सिंह को निर्वाचित घोषित कर दिया. फिर मामला बारीडीह का है अवतार सिंह सोखी को प्रधान बनाने के लिए कुलविंदर सिंह को बलि का बकरा बनाया गया. मतदाता सूची तैयार हुई और फिर कुलदीप सिंह और अवतार सिंह सोखी दोनों अकाली दल द्वारा धार्मिक स्क्रुटनी में फेल कर दिए गए. फिर क्या हुआ पटना तख्त श्री हरमंदिर साहिब से दोनों सर्टिफिकेट ले आए लेकिन सोखी को प्रधान घोषित कर दिया.
सीतारामडेरा में हरजिंदर सिंह आड़े आए तो वहां चुनाव कराने की बजाय चोर दरवाजे से दूसरे को प्रधान बना दिया. बिष्टुपुर में श्री अकाल तख्त के आदेश के बावजूद चुनाव नहीं हो रहा है. सोनारी में ऑडियो विवाद के बाद तारा सिंह ने इस्तीफा दिया, या तो उनकी कमेटी के वरीय उपाध्यक्ष के नेतृत्व में बचा हुआ कार्यकाल पूरा होता, या नई चुनाव प्रक्रिया शुरू होती. यहां पक्ष विपक्ष से दो दो व्यक्ति लेकर समिति फिलहाल बनी है और फिर चोर दरवाजे से किसी एक को प्रधान बनाने की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी.
मानगो में पिछले आठ साल से भगवान सिंह खुद प्रधान हैं और वहां चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई नहीं कर रहे हैं, जो दो साल पहले शुरू हो जानी चाहिए थी. साकची प्रधान चुनाव मामले में एसडीओ शताब्दी मजूमदार सीजीपीसी की चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई और 28 मई को आदेश दे दिया कि वह चुनाव करवाए. गलती का एहसास हुआ तो 4 जून को एसडीओ ने अपने आदेश को ही पलट दिया. आदेश पलटते ही साकची के चुनाव समिति के संयोजक सत्येंद्र सिंह रोमी ने प्रक्रिया पूरी कर निशान सिंह को प्रधान घोषित कर दिया.
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने की तरह सीजीपीसी चुनावी ड्रामा प्रपंच रच रही है. इससे कीताडीह, टूइलाडूंगरी फंसा है. पुराने इराक सीरिया और चीन की तरह चुनावी ड्रामा होता है, वास्तव में सच्ची लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई ही नहीं जाती, जिसे जिताना है और जीत का प्रमाण पत्र देना है उसके लिए कहानी बना दी जाती है.