फतेह लाइव, रिपोर्टर.
हाल ही में राहुल गांधी ने अमेरिका में दिए गए एक बयान में दावा किया कि भारत में सिख आज भी इस लड़ाई को लड़ रहे हैं कि वे पगड़ी पहन सकते हैं या गुरुद्वारे जा सकते हैं या नहीं। इस बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है और सिख समुदाय के कई नेता इसकी कड़ी निंदा कर रहे हैं। सेंट्रल सिख नौजवान सभा के चेयरमैन, दमनप्रीत सिंह ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “राहुल गांधी का यह बयान पूरी तरह से तथ्यहीन और बचकाना है।
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भारत सिख धर्म की जन्मभूमि है और सिखों को यहां हमेशा से ही मान-सम्मान और स्वतंत्रता प्राप्त है। भारतीय संविधान सिखों को न केवल उनकी धार्मिक परंपराओं को निभाने की आज़ादी देता है, बल्कि उनके अधिकारों की रक्षा भी करता है। पगड़ी पहनना, गुरुद्वारे जाना, और कड़ा पहनना सिखों का मौलिक अधिकार है, जिसे वे पूरे गौरव और सम्मान के साथ निभाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता को ऐसे बयान देने से पहले सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। इस तरह की बयानबाज़ी न केवल देश के भीतर साम्प्रदायिक मतभेद पैदा करती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करती है। सिख समुदाय का योगदान और उनकी पहचान पूरे विश्व में सराहनीय है, और उन्हें अपने ही देश में अपनी परंपराओं को लेकर किसी प्रकार की लड़ाई लड़ने की ज़रूरत नहीं है।”
दमनप्रीत सिंह ने अंत में कहा, “राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि भारत में सिखों को सम्मान और अधिकार मिलते हैं, और उनकी ऐसी टिप्पणियां केवल नफरत और विभाजन को बढ़ावा देती हैं। उन्हें अपने देश और उसकी छवि के प्रति अधिक जिम्मेदार होना चाहिए।” यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब भारत में सिख समुदाय अपने धार्मिक स्वतंत्रता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ गर्व से खड़ा है।