फतेह लाइव, रिपोर्टर.
पंजाब में बाबा जीवन सिंह जी के 362वें प्रकाश पर्व के साथ 24वें चेतना मार्च का 3 सितंबर को दरबार साहिब से हुई शुरुआत ऐतिहासिक रही. अमृतसर के अकाल तख्त हरमंदिर साहब से सुबह 8.00 बजे चेतना मार्च निकलकर रात 8.00 बजे आनंदपुर साहब पहुंचा. लौहनगरी से चेतना मार्च में शामिल हुई संगत के साथ रात गुजारने के उपरांत 4 सितंबर को फिर सुबह सरसा नदी के किनारे गुरूद्वारा बिछोडा़ साहब के लिए रवाना हुए. सभी संगत को छोटे साहिबजादों के पैरों के निशान के दर्शन कराए गए.
उक्त जानकारी देते हुए रंगरेटा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह गिल ने बताया कि नगर कीर्तन के साथ जब सैकड़ों की तादाद में संगत चमकौर साहब पहुंची. तब गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी द्वारा लंगर छकाने के बाद गुरुद्वारा मंजी साहिब लुधियाना के लिए रवाना हुए. लुधियाना पहुंचने के बाद संगत के साथ रात्रि विश्राम किया. गिल ने बताया कि 5 सितंबर को बाबा जीवन सिंह जी का जन्म दिहाड़ा बड़े ही धूमधाम से लुधियाना में मनाया गया. इस प्रकाश उत्सव में बाबा जीवन सिंह के त्याग और तपस्या को कविसरों ने अपनी बाणी से संगत को सुनाकर निहाल किया. कविसर ने बताया कि बाबा जीवन सिंह दोनों हाथों से न सिर्फ एक साथ दो घोड़े दौड़ाने में माहिर थे, बल्कि दोनों हाथों से तलवार भी चलाते थे. इतना ही नहीं बाबा जीवन सिंह जी ने अपना पूरा जीवन ही गुरूओं की सेवा में लगा दिया, इसलिए उन्हें ईनाम मिला “रंगरेटा गुरु का बेटा”.
बाबा जीवन सिंह जी द्वारा निर्मित गुरूद्वारा भट्ठा साहिब में आज भी हैं नीले घोड़े के पैरों की
संगत को चमकौर की गली के दर्शन से आज भी बलिदान की प्रेरणा मिलती है. जहां मुगलों से गुरूओं की लड़ाई हुई थी. इस संदर्भ में जानकारी देते कविसरों ने बताया कि भट्ठा साहिब और चमकौर साहिब में आज भी ऐसे निशान हैं, जो बता रहे हैं कि हमारे गुरूओं और लड़ाकों ने दुश्मन को नाकों चने चबवा दिए. तब जाकर मानव जाति की रक्षा हुई.
भट्ठा साहिब में गुरु गोविंद सिंह जी के नीले घोड़े ने अपने पैरों से मार कर अग्नि को ठंडा किया था, जिसके निशान आज भी गुरूद्वारा भट्ठा साहिब में मौजूद हैं. 1914 में इस गुरूद्वारे का निर्माण बाबा जीवन सिंह जी ने करवाया था.
गिल ने बताया कि संगत को बाबा जीवन सिंह जी के कर्मभूमि और तपोभूमि के रूप में चर्चित चमकौर दी गली स्थित सात मंजिला गुरूद्वारा साहिब के भी दर्शन कराए गए हैं. जहां से युद्ध हुआ था. गिल ने बताया कि गुरुद्वारा आलमगीर आलम साहिब लुधियाना में नगर कीर्तन समाप्ति के उपरांत चेतना मार्च में शामिल प्रबंधकों द्वारा संगत का स्वागत किया गया. विशेष कर दूर-दराज से संगत का जत्था लेकर आने वालों को शिरोपा और कृपाण देकर सम्मानित किया गया.
मौके पर रंगरेटा महासभा के गुरदयाल सिंह मानेवाल, जसबीर सिंह पदरी, महिंदर सिंह, कुंदन सिंह, सतबीर सिंह, मिटा सिंह, बलविंदर सिंह बिंदु, सविंदर सिंह, जोगिंदर सिंह जोगी, कुलवंत सिंह, साहिब सिंह, सुखदेव सिंह, बलबीर सिंह बीरा, राजू सिंह काले, सोनी सिंह, चरणजीत कौर, रिंकी कौर, मनजीत कौर, सुरेंद्र कौर, इंद्रजीत कौर, किरणदीप कौर सहित अन्य कई गणमान्य उपस्थित थे.